الفتوحات المكية

الفتوحات المكية - طبعة بولاق الثالثة (القاهرة / الميمنية)

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futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 28 - من الجزء 2

على النفس فلا يقع الوفاء به في الحال و القول إلا من الأشداء الأقوياء و لا سيما في القول فإنك لو حكيت كلاما عن أحد كان بالفاء فجعلت بدله واوا لم تكن من هذه الطائفة فانظر أغمض هذا المقام و ما أقواه فإن نقلت الخبر على المعنى تعرف السامع إنك نقلت على المعنى فتكون صادقا من حيث إخبارك عن المعنى عند السامع و لا تسمى صادقا من حيث نقلك لما نقلته فإنك ما نقلت عين لفظ من نقلت عنه و لا تسمى كاذبا فإنك قد عرفت السامع أنك نقلت المعنى فأنت مخبر للسامع عن فهمك لا عمن تحكي عنه فأنت صادق عنده في نقلك عن فهمك لا عن الرسول أو من تخبر عنه إن ذلك مراده بما قال فالصدق في المقال عسير جدا قليل من الناس من يفي به إلا من أخبر السامع أنه ينقل على المعنى فيخرج عن العهدة فالصدق في الحال أهون منه إلا أنه شديد على النفوس فإنه يراعي جانب الوفاء لما عاهد من عاهد عليه و قد قرن اللّٰه الجزاء بالصدق و السؤال عنه فقال ﴿لِيَجْزِيَ اللّٰهُ الصّٰادِقِينَ بِصِدْقِهِمْ﴾ [الأحزاب:24] و لكن بعد أن يسأل ﴿اَلصّٰادِقِينَ عَنْ صِدْقِهِمْ﴾ [الأحزاب:8] فإذا ثبت لهم جازاهم به و جزاؤهم به هو صدق اللّٰه فيما وعدهم به فجزاء الصدق الصدق الإلهي و جزاء ما صدق فيه من العمل و القول بحسب ما يعطيه ذلك العمل أو القول فهذا معنى الجزاء و أما السؤال عنه فمن حيث إضافة الصدق إليهم لأنه قال تعالى ﴿عَنْ صِدْقِهِمْ﴾ [الأحزاب:8] و ما قال عن الصدق فإن أضاف الصادق إذا سأل صدقه إلى ربه لا إلى نفسه و كان صادقا في هذه الإضافة إنها وجدت منه في حين صدقه في ذلك الأمر في الدار الدنيا ارتفع عنه الاعتراض فإن الصادق هو اللّٰه و هو قوله المشروع لا حول و لا قوة إلا بالله فإذا كانت القوة به و هي الصدق فإضافتها إلى العبد إنما هو من حيث إيجادها فيه و قيامها به و إن قال عند سؤال الحق إياه عن صدقه إنه لما صدق في فعله أو قوله في الدنيا لم يحضر في صدقه إن ذلك بالله كان منه كان صادقا في الجواب عند السؤال و نفعه ذلك عند اللّٰه في ذلك الموطن و حشر مع الصادقين و صدق في صدقه و هذا من أغمض ما يحتوي عليه هذا المقام و يطرأ فيه غلط كبير في هذا الطريق و هو أن يقول المريد أو العارف كلاما ما يترجم به عن معنى في نفسه قد وقع له و يكون في قوة دلالة تلك العبارة أن تدل على ذلك المعنى و على غيره من المعاني التي هي أعلى مما وقع له في الوقت ثم يأتي هذا الشخص في الزمان الآخر فيلوح له من مطلق ذلك اللفظ معنى غامض هو أعلى و أدق و أحسن من المعنى الذي عبر عنه بذلك اللفظ أولا فإذا سأل عن شرح قوله ذلك شرحه بما ظهر له في ثاني الحال لا بأول الوضع فيكون كاذبا في أصل الوضع صادقا في دلالة اللفظ فالصادق يقول كان قد ظهر لي معنى ما و هو كذا فأخرجته أو كسوته هذه العبارة ثم إنه لاح لي معنى هو أعلى منه لما نظرت في مدلول هذه العبارة فتركت هذه العبارة عليه أيضا في الزمان الثاني و لا يقول خلاف هذا و هذا من خفي رياسة النفوس و طلبها للعلو في الدنيا و قد ذم اللّٰه من طلب علوا في الأرض فإذا أراد العارف أن يسلم من هذا الخطر و يكون صادقا إذا أراد أن يترجم عن معنى قام له فليحضر في نفسه عند الترجمة أنه يترجم عن اللّٰه عن كل ما يحويه ذلك اللفظ من المعاني في علم اللّٰه و من جملتها المعنى الذي وقع له فإذا أحضر هذا و لاح له ما شاء اللّٰه أن يمنحه من المعاني التي يدل عليها ذلك اللفظ كان صادقا في الشرح أنه قصد ذلك المعنى على الإجمال و الإبهام لأنه لم يكن يعلم على التعيين ما في علم اللّٰه مما يدل عليه ذلك اللفظ إحضار مثل هذا عند كل إخبار وقت الإخبار عزيز لسلطان الغفلة و الذهول الغالب على الإنسان فليعود الإنسان نفسه مثل هذا الاستحضار فإنه نافع في استدامة المراقبة و الحضور مع الحق و هذا التنبيه الذي نبهت الصادقين عليه ما يشعر به أكثر أهل طريقنا فإنهم لا يحققون معناه و ربما يتخيلون فيه أنه شبهة فيفرون منه و ليس كذلك بل ذلك هو غاية الأدب البشري مع اللّٰه حيث يعبر عما في علم اللّٰه فهذا من الأدوية النافعة لهذا المرض لمن استعمله وفقنا اللّٰه و السامعين لاستعماله و استعمال أمثاله

[الأولياء الصابرون]

و من الأولياء أيضا الصابرون و الصابرات رضي اللّٰه عنهم تولاهم اللّٰه بالصبر و هم الذين حبسوا أنفسهم مع اللّٰه على طاعته من غير توقيت فجعل اللّٰه جزاءهم على ذلك من غير توقيت فقال تعالى ﴿إِنَّمٰا يُوَفَّى الصّٰابِرُونَ أَجْرَهُمْ بِغَيْرِ حِسٰابٍ﴾ [الزمر:10] فما وقت لهم فإنهم لم يوقتوا فعم صبرهم جميع المواطن التي يطلبها الصبر فكما حبسوا نفوسهم على الفعل بما أمروا به حبسوها أيضا على ترك ما نهوا عن فعله فلم يوقتوا فلم يوقت لهم الأجر و هم الذين أيضا حبسوا نفوسهم عند وقوع البلايا و الرزايا بهم عن سؤال ما سوى اللّٰه في رفعها عنهم بدعاء الغير أو شفاعة أو طب إن كان


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