The Meccan Revelations: al-Futuhat al-Makkiyya

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

و الضيق نقيض رحمة اللّٰه مع أن الرحمة وسعته حيث أوجدت عينه و جعلت له حكما في نفوس العالم حسا و معنى يقول تعالى ﴿وَ إِذٰا أُلْقُوا مِنْهٰا مَكٰاناً ضَيِّقاً﴾ [الفرقان:13] و المولود على النقيض من الحق في هذه المسألة فإن الحق لما كان له نعت لا شيء موجود إلا هو كان و لا منازع و لا مدع مشاركة في أمر و لا موجب لغضب و لا استعطاف غني عن العالمين فكان بنفسه لنفسه في ابتهاج الأزل و التذاذ الكمال بالغنى الذاتي فكان اللّٰه و لا شيء معه و هو على ما عليه كان

[مثل من خرج من السعة إلى الضيق]

فلما أوجد العالم كانت هذه الحالة لهذا المولود و لكن على النقيض زاحمه العالم في الوجود العيني و ما قنع حتى زاحمه في الوحدة و ما قنع حتى نسب إليه ما لا يليق به فوصف نفسه لهذا كله بالغضب على من نازعه في كل شيء ذكرناه فكان مثل من خرج من السعة إلى الضيق و من الفرح إلى الغم فانتقم و عذب بصفة الغضب و عفا و تجاوز بصفة الكرم و حفظ و عصم بصفة الرحمة فظهر الاستناد من الموجودات إلى الكثرة في العين الواحدة فاستند هذا إلى غير ما استند هذا فزال ابتهاج التوحيد و الأحدية بالأسماء الحسنى و بما نسب إليه من الوجوه المتعددة الأحكام فلم يبق للاسم الواحد ابتهاج فرجع الأمر إلى أحدية الألوهية و هي أحدية الكثرة لما تطلبه من الأسماء لبقاء مسمى الأحدية فقال ﴿وَ إِلٰهُكُمْ إِلٰهٌ وٰاحِدٌ﴾ [البقرة:163] و لم يتعرض إلى ذكر النسب و الأسماء و الوجوه فإن طلب الوحدة ينافي طلب الكثرة فلا بد أن يكون هذا الأمر هكذا

[القاصد لبيت اللّٰه من أجل اللّٰه]

فصير قاصد بيته لحج أو عمرة من أجل اللّٰه في حال من ولدته أمه أي أنه خرج من الضيق إلى السعة فشبهه بمثله و هو المولود و لم يشبهه بوصفه تعالى الذي ذكرناه آنفا و لكن اشترط فيه أنه لا يرفث فإنه إن نكح أولد فلا يشبه المولود فإنه إذا ولد خرج من السعة إلى الضيق فإنه حصل له في ماله مشاركة بالولد و صار بحكم الولد أكثر منه بحكم نفسه فضاق الأمر عليه و لا سيما إذا تحرك ولده بما لا يرضيه فإنه يورثه الحرج و ضيق الصدر لمزاحمة الثاني فلهذا اشترط في الآتي إلى البيت أن لا يرفث و لا يفسق أي لا يخرج على سيده فيدعي في نعته و يزاحمه في صفاته إذ الفسوق الخروج

[الكون مع اللّٰه في شيئية الوجود كما في شيئية الثبوت]

فمن بقي في حال وجوده مع اللّٰه كما كان في حال عدمه فذلك الذي أعطى اللّٰه حقه و لهذا الداء العضال أحاله على استعمال دواء



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