The Meccan Revelations: al-Futuhat al-Makkiyya

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و كما قال ﴿فَأَجِرْهُ حَتّٰى يَسْمَعَ كَلاٰمَ اللّٰهِ﴾ [التوبة:6] فكلم اللّٰه المستجير من خلف حجاب محمد ﷺ إذ كان هو عين الحجاب لأن المستجير من المشركين منه سمع كلام اللّٰه فلا نشك أن اللّٰه كلمنا على لسان رسول اللّٰه ﷺ و كما أيضا كلمنا من وراء حجاب المصلي إذا قال سمع اللّٰه لمن حمده فالسنة العالم كلها أقوال اللّٰه و تقسيمها لله فيضيف إلى نفسه منها ما شاء و يترك منها ما شاء فأما الحجب الكيانية التي بين الأكوان فمنها جنن و وقايات و منها عزة و حمايات كاحتجاب الملوك و حجاب الغيرة على من يغار عليه كما قال في ذوات الخدور و هن المحتجبات و من ذلك ﴿حُورٌ مَقْصُورٰاتٌ فِي الْخِيٰامِ﴾ [الرحمن:72] و أما الوقايات و الجنن فمنها الحجب التي تقي الأجسام الحيوانية من البرد القوي و الحر الشديد فيدفع بذلك الألم عن نفسه و كذلك الطوارق يدفع بها في الحرب المقاتل عن نفسه سهام الأعداء و رماحهم و سيوفهم فيتقي هذا و أمثاله بمجنه الحائل بينه و بين عدوه و يدفع بذلك عن نفسه الأذى من خودة و ترس و درع و قد تكون حجب معنوية يدفع بها الأذى الشخص عمن يتكرم عليه مثل شخص يصدر منه في حق شخص آخر ما يكرهه ذلك الشخص لكونه لا يلائم طبعه و لا يوافق غرضه فيلحق به الذم لما جرى منه في حقه فيقوم شخص يجعل نفسه له وقاية حتى يتلقى هو في نفسه سهام ذلك الذم فيقرر في نفس الذام أنه السبب الموجب لذلك و أن ذلك الأذى كان كله من جهته حتى يتحقق ذلك الذام هذا الأمر أنه كان من جهة هذا الشخص بأي وجه أمكنه التوصل إليه فيعلق الذم به و يكون حائلا بينه و بين الشخص الذي كان منه الأذى لذلك الذم فوقى عرضه بنفسه كما نلحق نحن من الأفعال ما قبح منها مما لا يوافق الأغراض و لا يلائم الطبع إلينا مع علمنا إن الكل من عند اللّٰه و لكن لما تعلق به لسان الذم فدينا ما ينسب إلى الحق من ذلك بنفوسنا أدبا مع اللّٰه و ما كان من خير و حسن رفعنا نفوسنا من الطريق و أضفنا ذلك إلى اللّٰه حتى يكون هو المحمود أدبا مع اللّٰه و حقيقة فإنه لله بلا شك مع ما فيه من رائحة الاشتراك بالخبر الإلهي في قوله ﴿وَ اللّٰهُ خَلَقَكُمْ وَ مٰا تَعْمَلُونَ﴾ [الصافات:96] و قوله



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