The Meccan Revelations: al-Futuhat al-Makkiyya

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(وفق مخطوطة قونية)

فهذا سبب نحول أجسامهم و من نعوت المحبين الذبول و هو نعت صحيح في أرواحهم و أجسامهم أما في أجسامهم فسببه ترك ملاذ الأطعمة الشهية التي لها الدسم و الرطوبة و هي مستلذة للنفوس و تورث في الأجسام نضرة النعيم فلما رأوا رضي اللّٰه عنهم أن الحبيب كلفهم القيام بين يديه و مناجاته ليلا عند تجليه و نوم النائمين و رأوا أن الرطوبات الحاصلة في أجسامهم تصعد منها أبخرة إلى الدماغ تخدر الحواس و تغمرها فيغلبهم النوم عما في نفوسهم من القيام بين يدي محبوبهم لمناجاته في خلواتهم حين ينامون ثم إن تلك الأبخرة تورث قوة في أبدانهم تؤدي تلك القوة الجوارح إلى التصرف في الفضول الذي حجر عليهم التصرف فيه محبوبهم فتركوا الطعام و الشراب إلا قدر ما تمس الحاجة إليه من ذلك فقلت الرطوبة في أجسامهم فزالت عنهم نضرة النعيم و ذبلت شفاههم و استرخت أبدانهم و راح نومهم و تقوى سهرهم فنالوا مقصودهم من القيام بين يديه و وجدوا المعونة على ذلك بما تركوه فذلك هو ذبول الأجسام و أما ذبول أرواحهم فإن لهم نعيما بالمعارف و العلوم لأن لهم نسبة إلى أرواح الملإ الأعلى ليأنسوا بالجنس رغبة في المعاونة لما سمعوا اللّٰه تعالى يقول ﴿وَ تَعٰاوَنُوا عَلَى الْبِرِّ وَ التَّقْوىٰ﴾ [المائدة:2] فتخيلوا أنهم المخاطبون بذلك و ليس الأمر كذلك فإن الذين خوطبوا بذلك هم الذين يليق بهم أن يتعاونوا على الإثم و العدوان و لذلك أردف بالنهي فقال ﴿وَ لاٰ تَعٰاوَنُوا عَلَى الْإِثْمِ وَ الْعُدْوٰانِ وَ اتَّقُوا اللّٰهَ﴾ [المائدة:2]



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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