The Meccan Revelations: al-Futuhat al-Makkiyya

Volume number (out of 37): [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 3159 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

فجعل المسارعة في الخير و إليه و لا يسابق إليها إلا بالذنوب و طلب المغفرة فإنها لا ترد إلا على ذنب و إن كانت في وقت تستر العبد عن إن تصيبه الذنوب و هو المعصوم و المحفوظ فلها الحكمان في العبد محو الذنب بالستر عن العقوبة أو العصمة و الحفظ و لا ترد على تائب فإن التائب لا ذنب له إذ التوبة إزالته فما ترد المغفرة إلا على المذنبين في حال كونهم مذنبين غير تائبين فهناك يظهر حكمها و هذا ذوق لم يطرق قلبك مثله قبل هذا و هو من أسرار اللّٰه في عباده الخفية في حكم أسمائه الحسنى لا يعقل ذلك إلا أهل اللّٰه شهودا فمثل هذا يسمى التضمين فإنه أمر بالمسابقة إلى المغفرة و ما أمر بالمسابقة إلى الذنب و لما كان العفو و الغفران يطلب الذنب و هو مأمور بالمسابقة إلى المغفرة فهو مأمور بما له يكون ليظهر حكمها فما لا يتوصل إلى الواجب إلا به فهو واجب و لكن من حيث ما هو فعل لا من حيث ما هو حكم و إنما أخفى ذكره هنا و ذكر المغفرة لقوله ﴿إِنَّ اللّٰهَ لاٰ يَأْمُرُ بِالْفَحْشٰاءِ﴾ [الأعراف:28] و الأمر من أقسام الكلام فما أمر بالذنوب و إنما أمر بالمسابقة و الإسراع إلى الخير و فيه و إلى المغفرة فافهم

[الكير ينفى خبث الأجسام المعدنية]

و أما تشبيه بنفي الكير خبث الحديد و الفضة و الذهب و هو ما تعلق بهذه الأجسام في المعادن من أصل الطبيعة استعانوا بالنار على إزالة ذلك و استعانوا على النار بإشعال الهواء و استعانوا على تحريك الهواء بالكير فما انتفى الخبث إلا عن مقدمتين و هما النار و الهواء فلو لا وجود هاتين القوتين العلمية و العملية ما وقع نفي هذا الخبث

[أسرار اللّٰه في الأشياء لا تنحصر]



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


Please note that some contents are translated from Arabic Semi-Automatically!