الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 9652 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

﴿يَوْمَ يَبْعَثُهُمُ اللّٰهُ جَمِيعاً﴾ [المجادلة:6] فمن هذه الحضرة بعث الرسل و أنزل الكتب و حشر الناس بعد أن أنشرهم ثم بعث بهم من هذه الحضرة إلى منازلهم يعمرونها من جنة و نار كل بشاكلة عمله فيبعثهم و يبعث إليهم فالبعث لا ينقطع في الدنيا و الآخرة و البرزخ غير أن الرسل عرفاء لا تمشي إلا بين الملوك لا بين الرعايا و إنما تخاطب الرؤساء و العرفاء فالإرسال من اللّٰه إنما أرسلهم من كونه ملكا إلى النفوس الناطقة من عباده لكونهم مدبرين مدائن هياكلهم و رعاياهم جوارحهم الظاهرة و قواهم الباطنة فما تجيء رسالة من الملك إلا بلسان من أرسل إليهم قال تعالى ﴿وَ مٰا أَرْسَلْنٰا مِنْ رَسُولٍ إِلاّٰ بِلِسٰانِ قَوْمِهِ لِيُبَيِّنَ لَهُمْ﴾ [ابراهيم:4] فيبعث اللّٰه رسله إلى هذه النفوس الناطقة و هي التي تنفذ في الجوارح ما تنفذ من طاعة و مخالفته و لها قبول الرسالة و الإقبال على الرسول و التحفي به أو الإهانة و قد يكون الرد بحسب ما أعطاها اللّٰه من الاستعداد من توفيق أو خذلان فجعل النفوس ملوكا على أبدانها و أتاها ﴿مٰا لَمْ يُؤْتِ أَحَداً مِنَ الْعٰالَمِينَ﴾ [المائدة:20] و هو طاعة رعاياها لها فالجوارح و القوي لا تعصى لها أمرا بوجه من الوجوه و سائر الملوك الذين رعاياهم غير متصلين بهم قد يعصون أوامر ملوكهم كما إن من هؤلاء الملوك قد يعصى ما أمره به الملك الحق سبحانه و تعالى على لسان رسوله إليهم و قد يطيع فتوجيه الرسل و بعث اللّٰه إليهم أثبت لهم كونهم ملوكا فلما أنزلهم منزلته في الملك علمنا أنه لو لا ما ثم مناسبة تقتضيه ما كان هذا فإذ المناسبة في أصل الخلقة و هي قوله تعالى



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!