الفتوحات المكية

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(وفق مخطوطة قونية)

فافهم أين جعل رتبة الحبل و بأي اسم قرنه و إلى أي اسم أضافه

[أن الصور سبب تمييز الأعيان]

و اعلم أنه لو لا الصور ما تميزت الأعيان و لو لا المراتب ما علمت مقادير الأشياء و لا كانت تنزل كل صورة منزلتها كما قالت عائشة أنزلوا الناس منازلهم و بالرتبة علم الفاضل و المفضول و بها ميز بين اللّٰه و العالم و بها ظهرت حقائق ما هي عليه الأسماء الإلهية من عموم التعلق و خصوصه فلنذكر في هذا الفصل مناسبة الأسماء الإلهية التي ذكرناها للحروف التي عيناها و المنازل التي أوردناها ليرتبط الكل بعضه ببعضه فكما جمع العماء صور الموجودات الذي هو النفس الإلهي كذلك جمع الحروف النفس الإنساني كما جمع الفلك المنازل المقدرة لنزول الدراري فيها المبينة مقادير البروج في الفلك الأطلس فنقول إني ما قصدت بهذا المساق ترتيب إيجاد العالم و إنه وجد هذا بعد هذا فإن ترتيب إيجاد العالم قد ذكرناه في هذا الكتاب و إنه على خلاف ما يقوله حكماء الفلاسفة و إنما قصدنا معرفة ما أثرت الأسماء الإلهية في الممكنات في ممكن ممكن منها سواء تقدم على المذكور قبله أو تأخر و رتبة الموجودات على ما هي الآن عليه في وصفها و تقييدها و ذكرنا المنازل على ما هي الآن عليه في وضعها و ترتيب الحروف على مخارجها و لا يلزم من هذا ترتيبها في الكلمات المؤلفة منها فقد تكون الكلمة الأولى من حروف الوسط مثل كلمة كن و قبلها حروف مخارجها متقدمة عليها فتنظر الاسم الإلهي الذي يقتضي أن يكون له الأثر في العالم ابتداء فتجده البديع لأنه لم يتقدم العالم عالم يكون هذا على مثاله فالبديع له الحكم في ابتداء العالم على غير مثال و ليس المبدئ كذلك و المعيد يطلب المبدئ ما يطلب البديع و البديع له الحكم في النشأة الآخرة فينا كما كان له الحكم في النشأة الدنيا فإنها على غير مثال هذه النشأة و هو قوله تعالى



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