Les révélations mecquoises: futuhat makkiyah

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فالمخاطب غير مقصود بذلك العلم فإنه عالم به و المقصود به من حضر من السامعين و بهذا فسره رسول اللّٰه ﷺ فقال في هذا الحديث هذا جبريل جاء ليعلم الناس دينهم و من ذلك حب المقاتلين في سبيل اللّٰه بوصف خاص قال تعالى ﴿إِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ الَّذِينَ يُقٰاتِلُونَ فِي سَبِيلِهِ صَفًّا كَأَنَّهُمْ بُنْيٰانٌ مَرْصُوصٌ﴾ [الصف:4] يريد لا يدخله خلل فإن الخلل في الصفوف طرق الشياطين و الطريق واحدة و هي سبيل اللّٰه و إذا قطع هذا الخط الظاهر من النقط و لم يتراص لم يظهر وجود للخط و المقصود وجود الحظ و هذا معنى الرص لوجود سبيل اللّٰه فمن لم يكن له تعمل في ظهور سبيل اللّٰه فليس من أهل اللّٰه و كذلك صفوف المصلين لا تكون في سبيل اللّٰه حتى تتصل و يتراص الناس فيها و حينئذ يظهر سبيل اللّٰه في عينه فمن لم يفعل و أدخل الخلل كان ممن سعى في قطع سبيل اللّٰه و إزالته من الوجود فأراد اللّٰه من عباده في مثل هذا أن يجعلهم من الخالقين و لذلك قال ﴿فَتَبٰارَكَ اللّٰهُ أَحْسَنُ الْخٰالِقِينَ﴾ [المؤمنون:14] و لا يكون السبيل إلا هكذا كالخط الموجود من النقط المتجاورة التي ليس بين كل نقطتين حيز فارغ لا نقطة فيه و حينئذ تظهر صورة الحظ كذلك الصف لا يظهر فيه سبيل اللّٰه حتى يتراص الناس فيه فهو يطلب الكثرة و هو في جناب اللّٰه تراص أسمائه تبارك و تعالى فيظهر عن تراصها سبيل الخلق فيكون الحي و إلى جانبه العليم و لا يكون بينهما فراغ لاسم آخر و يكون إلى جانبه المريد و يكون إلى جانبه القائل و يكون إلى جانبه القادر و يكون إلى جانبه الحكم و إلى جانبه المقيت و إلى جانبه المقسط و إلى جانبه المدبر و إلى جانبه المفصل و إلى جانبه الرازق و إلى جانبه المحيي فهكذا يكون صف الأسماء الإلهية لإيجاد سبيل الخلق الذي يكون بهذا التراص وجوده فإذا ظهرت هذه السبيل و ليست بزائدة على تراص هذه الأسماء فاتصف الخلق بهذه الأسماء لأنها بتراصها و هو حالها عن طريق الخلق فلا تزال ظاهرة في الخلق لا تعقل إلا هكذا فالعالم حي عالم مريده قائل قادر حكم مقيت مقسط مدبر مفصل هكذا إلى بقية الأسماء الإلهية و هو المعبر عنه في الطريق بالتخلق بالأسماء فتظهر في العبد كما تظهر في إيجاد الطريق المستقيم بتراصها فإن دخلها في الكون خلل زال سبيل اللّٰه و ظهرت سبل الشياطين التي تتخلل خلل الصفوف كما «ورد في الخبر فاجعل بالك لما نبهتك عليه» فإذا قام العبد بأسماء الحق مقام الأسماء في إيجاد الخلق و قاتل بهذه الصفة الأعداء الذين هم بمنزلة الشياطين التي تتخلل خلل الصف فبالضرورة ينصرون لأنه لم يبق هناك خلل يدخل منه العدو فأحب اللّٰه من هذه صفتهم و كذا الإنسان وحده هو صف في كل ما هو فيه متحرك فتكون حركاته كلها لله لا يتخللها شيء لغير اللّٰه فلا يقاومه أحد فإن الأعداء أبصارهم إليه محدقة ينظرون في حركاته و أفعاله عسى يجدون خللا يدخلون عليه منه فيقطعون بينه و بين اللّٰه بقطع سبيل اللّٰه و كل فعل خط فإنه مجموع أسماء إلهية و صفات محمودة و الأفعال كثيرة فيكثف الأمر و يعظم و تظهر صور المركبات في العالم إذ كل خطين فما زاد سطح و كل سطحين جسم و كل جسم فمركب من ثمانية و هو صورة كمال ظهرت عن ذات و سبع صفات فغاية التركيب الجسم و ليس وراءه مرتبة و قد قام على ثمانية بلا خلاف بين الجميع و ما زاد على هذا فهو أجسم أي أكثر سطوحا و إذا كان أكثر سطوحا كان أكثر خطوطا و إذا كان أكثر خطوطا كان أكثر نقطا فلم يزد على ما تركب منه الجسم الذي هو أول الأجسام مادة غير ما قبله الأول أو كان به الجسم الأول فمن تراص في صفة كان خلاقا قال تعالى ﴿فَتَبٰارَكَ اللّٰهُ أَحْسَنُ الْخٰالِقِينَ﴾ [المؤمنون:14]



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