الفتوحات المكية

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فهو مع كل همة حيث كانت و يجدون همما أرضية قد تقدست عن الأينية و عن مراتب العقول فلم تتقيد بحضرة فتنال من العلوم التي تليق بهذه الصفة التي وهبهم الحق منها ما حصلوا عليه من المعارف ما يبهت أولئك الهمم و هي من علوم الإطلاق الخارجة عن الحصر الأيني الفلكي و عن الحصر الروحاني العقلي فهم مع كونهم في ظلمة الطبيعة على نور أضاءت به تلك الظلمة لوجود المشاهدة

[الرؤية البصرية للأشياء المرئية]

و هؤلاء هم الذين يعرفون أن إدراك الأشياء المرئية إنما هو من اجتماع نور البصر مع نور الجسم المستنير شمسا كان أو سراجا أو ما كان فتظهر المبصرات فلو فقد الجسم المستنير ما ظهر شيء و لو فقد البصر ما أضاء شيء مما يدركه البصر مع النور الخارج أصلا أ لا ترى صاحب الكشف إذا أظلم الليل و انغلق عليه باب بيته و يكون معه في تلك الظلمة شخص آخر و قد تساويا في عدم الكشف للمبصرات فيكون أحدهم ممن يكشف له في أوقات فيتجلى له نور يجتمع ذلك النور مع نور البصر فيدرك ما في ذلك البيت المظلم مما أراد اللّٰه أن يكشف له منه كله أو بعضه يراه مثل ما يراه بالنهار أو بالسراج و رفيقه الذي هو معه لا يرى إلا الظلمة غير ذلك لا يراه فإن ذلك النور ما تجلى له حتى يجتمع بنور بصره فينفر حجاب الظلمة فلو لم يكن الأمر كما ذكرناه لكان صاحب هذا الكشف مثل صاحبه لا يدرك شيئا أو يكون رفيقه مثله يدرك الأشياء فيكون إما من أهل الكشف مثله أو يدركه بنور العلم فإن المكاشف يدركه بنور الخيال كما يدركه النائم و رفيقه إلى جانبه مستيقظ لا يرى شيئا كذلك صاحب الكشف و لو سألت صاحب الكشف هل ترى ظلمة في حال كشفك لقال لا بل يقول أنارت البقعة حتى قلت إن الشمس ما غابت فأدركت المبصرات كما أدركها نهارا



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