الفتوحات المكية

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(وفق مخطوطة قونية)

و لما نفخ الروح في اللهب و هو كثير الاضطراب لسخافته و زاده النفخ اضطرابا و غلب الهواء عليه و عدم قراره على حالة واحدة ظهر عالم الجان على تلك الصورة و كما وقع التناسل في البشر بإلقاء الماء في الرحم فكانت الذرية و التوالد في هذا الصنف البشري الآدمي كذلك وقع التناسل في الجان بإلقاء الهواء في رحم الأنثى منهم فكانت الذرية و التوالد في صنف الجان و كان وجودهم بالقوس و هو ناري هكذا ذكر الوارد حفظه اللّٰه

[ما بين خلق الجان و الإنسان من السنين]

فكان بين خلق الجان و خلق آدم ستون ألف سنة و كان ينبغي على ما يزعم بعض الناس أن ينقطع التوالد من الجان بعد انقضاء أربعة آلاف سنة و ينقضي التوالد من البشر بعد انقضاء سبعة آلاف سنة و لم يقع الأمر على ذلك بل الأمر راجع إلى ما يريده اللّٰه فالتوالد في الجن إلى اليوم باق و كذلك فينا فتحقق بهذا كم لآدم من السنين و كم بقي إلى انقضاء الدنيا و فناء البشر عن ظهرها و انقلابهم إلى الدار الآخرة و ليس هذا بمذهب الراسخين في العلم و إنما قال به شرذمة لا يعتد بقولها

[الجان برزخ بين الملك و الإنسان]

فالملائكة أرواح منفوخة في أنوار و الجان أرواح منفوخة في رياح و الأناسي أرواح منفوخة في أشباح و يقال إنه لم يفصل عن الموجود الأول من الجان أنثى كما فصلت حواء من آدم قال بعضهم إن اللّٰه خلق للموجود الأول من الجان فرجا في نفسه فنكح بعضه ببعضه فولد مثل ذرية آدم ذكرانا و إناثا ثم نكح بعضهم بعضا فكان خلقه خنثى و لذلك هم الجان من عالم البرزخ لهم شبه بالبشر و شبه بالملائكة كالخنثى يشبه الذكر و يشبه الأنثى و قد روينا فيما رويناه من الأخبار عن بعض أئمة الدين أنه رأى رجلا و معه ولدان و كان خنثى الواحد من ظهره و الآخر من بطنه نكح فولد له و نكح فولد و سمي خنثى من الانخناث و هو الاسترخاء و الرخاوة عدم القوة و الشدة فلم تقو فيه قوة الذكورية فيكون ذكرا و لم تقو فيه قوة الأنوثة فيكون أنثى فاسترخى عن هاتين القوتين فسمي خنثى و اللّٰه أعلم



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