الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 4771 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

(منصة و مجلى)نعت المحب بأنه مجهول الأسماء

قال الشاعر

لا تدعني إلا بيا عبدها *** فإنه أشرف أسمائي

فهذا مثل قولهم فيه إنه مخلوع النعوت فالعبودية له ذاتية فما له اسم معين سوى ما يسميه به محبوبه فبأي اسم سماه و دعاه به أجابه و لباه فإذا قيل للمحب ما اسمك يقول سل المحبوب فما سماني به فهو اسمي لا اسم لي أنا المجهول الذي لا يعرف و النكرة التي لا تتعرف المحب اللّٰه لا اسم له يدل على ذاته و إنما المألوه الذي هو محبوبه نظر إلى ما له فيه من أثر فسماه بآثاره فقبل الحق ما سماه به فقال المألوه يا اللّٰه قال اللّٰه له لبيك قال المربوب يا رب قال له الرب لبيك قال المخلوق له يا خالق قال الخالق لبيك قال المرزوق يا رزاق قال الرزاق لبيك قال الضعيف يا قوي قال القوي أجبتك فأحوالنا تدعوه دعاء تحقيق فيتخذها أسماء و لهذا تختلف ألفاظها و تركيب حروفها بحسب اللسان و المعنى الموجب للاسم معقول عند المخلوقين فيقول العربي يا اللّٰه للذي يقول له الفارسي أي خداي و يقول له الرومي أيشا و يقول له الأرمني أي اصفاج و يناديه التركي أي تنكري و يناديه الإفرنجي أي كريطور و يقول له الحبشي واق فهذه ألفاظ مختلفة لمعنى واحد مقصود من كل مخلوق فلهذا قلنا إنه مجهول الأسماء إذ الأسماء دلائل فالمحبوب بأي اسم دعا محبه أجابه

(منصة
و مجلى)نعت المحب بأنه كأنه سأل و ليس يسأل

و هذا النعت يسمى البهت و السبات و لا يكون له هذا إلا في حال الاستغراق فيما عنده من حب محبوبه حتى إن محبوبه ربما يكون بإزائه و لا يعرفه به و يناديه و لا يعرف صوته مع نظره إليه فهو كالسالي في حاله و هو في غاية الهيمان فيه المحب اللّٰه يقول



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!