الفتوحات المكية

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و لذلك يتعلق العلم بالمعلومات و الإرادة الواحدة بالمرادات و القدرة الواحدة بالمقدورات فتقع القسمة و التعداد في المقدورات و المعلومات و المرادات و هو الشطر الموجود في الرقم و يقع الاتحاد و التنزه عن الأوصاف الباطنية من علم و قدرة و إرادة و في هذا إشارة فافهم و لما كانت الحاء ثمانية و هو وجود كمال الذات و لذلك عبرنا عنه بالكلمة و الروح فكذلك النون خامسة في العشرات إذ يتقدمها الميم الذي هو رابع فالنون جسماني محل إيجاد مواد الروح و العقل و النفس و وجود الفعل و هذا كله مستودع في النون و هي كلية الإنسان الظاهرة و لهذا ظهرت

(تتمة) [الفصل بين الميم و النون بالألف]

و إنما فصل بين الميم و النون بالألف مان إذ الميم ملكوتية لما جعلناها للروح و النون ملكية و النقطة جبروتية لوجود سر سلب الدعوى كأنه يقول أي يا روح الذي هو الميم لم نصطفك من حيث أنت لكن عناية سبقت لك في وجود علمي و لو شئت لاطلعت على نقطة العقل و نون الإنسانية دون واسطة وجودك فاعرف نفسك و اعلم أن هذا اختصاص بك مني من حيث أنا لا من حيث أنت فصحت الاصطفائية فلا تجلى لغيره أبدا فالحمد لله على ما أولى فتنبه يا مسكين في وجود الميم دائرة على صورة الجسم مع التقدم كيف أشار به إلى التنزه عن الانقسام و انقسام الدائرة لا يتناهى فانقسام روح الميم بمعلوماته لا يتناهى و هو في ذاته لا ينقسم ثم انظر الميم إذا انفصل وحده كيف ظهرت منه مادة التعريق لما نزل إلى وجود الفعل في عالم الخطاب و التكليف فصارت المادة في حق الغير لا في حق نفسه إذ الدائرة تدل عليه خاصة فما زاد فليس في حقه إذ قد ثبتت ذاته فلم يبق إلا أن يكون في حق غيره فلما نظر العبد إلى المادة مد تعريقا و هذا هو وجود التحقيق ثم اعلم أن الجزء المتصل بين الميم و النون هو مركز ألف الذات و خفيت الألف ليقع الاتصال بين الميم و النون بطريق المادة و هو الجزء المتصل و لو ظهرت الألف لما صح التعريق للميم لأن الألف حالت بينهما و في هذا تنبيه على قوله



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