الفتوحات المكية

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[أمهات الأسماء الإلهية]

و اعلم أن الأسماء قد نتركها على كثرتها إذا لحظنا وجوه الطالبين لها من العالم و إذا لم نلحظ ذلك فلنرجع و نلحظ أمهات المطالب التي لا غنى لنا عنها فنعرف إن الأسماء التي الأمهات موقوفة عليها هي أيضا أمهات الأسماء فيسهل النظر و يكمل الغرض و يتيسر التعدي من هذه الأمهات إلى البنات كما يتيسر رد البنات إلى الأمهات فإذا نظرت الأشياء كلها المعلومة في العالم العلوي و السفلي تجد الأسماء السبعة المعبر عنها بالصفات عند أصحاب علم الكلام تتضمنها و قد ذكرنا هذا في كتابنا الذي سميناه إنشاء الدوائر و ليس غرضنا في هذا الكتاب في هذه الأمهات السبعة المعبر عنها بالصفات و لكن قصدنا الأمهات التي لا بد لإيجاد العالم منها كما إنا لا نحتاج في دلائل العقول من معرفة الحق سبحانه إلا كونه موجودا عالما مريدا قادرا حيا لا غير و ما زاد على هذا فإنما يقتضيه التكليف فمجيء الرسول عليه السّلام جعلنا نعرفه متكلما و التكليف جعلنا نعرفه سميعا بصيرا إلى غير ذلك من الأسماء فالذي نحتاج إليه من معرفة الأسماء لوجود العالم و هي أرباب الأسماء و ما عداها فسدنة لها كما إن بعض هذه الأرباب سدنة لبعضها فأمهات الأسماء الحي العالم المريد القادر القائل الجواد المقسط و هذه الأسماء بنات الاسمين المدبر و المفصل فالحي يثبت فهمك بعد وجودك و قبله و العالم يثبت أحكامك في وجودك و قبل وجودك يثبت تقديرك و المريد يثبت اختصاصك و القادر يثبت عدمك و القائل يثبت قدمك و الجواد يثبت إيجادك و المقسط يثبت مرتبتك و المرتبة آخر منازل الوجود فهذه حقائق لا بد من وجودها فلا بد من أسمائها التي هي أربابها فالحي رب الأرباب و المربوبين و هو الإمام و يليه في الرتبة العالم و يلي العالم المريد و يلي المريد القائل و يلي القائل القادر و يلي القادر الجواد و آخرهم المقسط فإنه رب المراتب و هي آخر منازل الوجود و ما بقي من الأسماء فتحت طاعة هؤلاء الأسماء الأئمة الأرباب



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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