الفتوحات المكية

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

فهذه تسمى حروف العلة أي وجدت معلولة عن هذه العلل فخرجت على صورة عللها في الحكم فأعربت بها الكلمات كما أعربت بعللها تقول زيد أخوك فعلامة الرفع في زيد ضمة الدال و عن إشباع الضمة في قولك أخوك تكون الواو علامة الرفع في أخوك و كذلك في النصب في رأيت زيدا أخاك و في الخفض مررت بزيد أخيك و كذلك رأيت أخاك زيدا الفتحة في زيد علامة النصب و الألف في أخاك المتولدة عن فتحة الخاء علامة النصب و كذلك مررت بأخيك زيد فالكسرة في زيد علامة الخفض و الياء في أخيك علامة الخفض فأعطيت الياء حكم معلوله فأعلت الكلمة هذه الحروف فلها حكم ابائها

[الأسماء الإلهية التي لهذه الحروف الصغار و آثارها في الكون]

إلى الذي هو الرفع له من الأسماء العلى و الفتح له من الأسماء الرحمن ما يفتح اللّٰه للناس من رحمة و الكسر له من الأسماء المتعالي و آثار هذه الأسماء الإلهية في الكون معلومة كما هي في الحق متميزة بحدودها يمتاز بعضها عن بعض و قد بيناها في الباب الثاني من أبواب هذا الكتاب و بينا فيه حركات البناء من حركات الإعراب و مرتبة السكون الحي و الميت و إلحاق النون بحروف العلة في حكم الإعراب في الخمسة الأمثلة من الفعل و هي يفعلان و تفعلان و يفعلون و تفعلون و تفعلين و إثباتها إعراب و حذفها إعراب بحسب العوامل الداخلة عليها

[الأعمال مكاسب و الأحوال مواهب]

و لما كان المعلول موصوفا بالمرض كان ذا جهد و مشقة لما يقاسيه من ألم العلة القائمة به إذ لا يوجد عن العلة إلا معلول فلهذا جعلناه في باب المجاهدة لأن المجاهدة مشقة و تعب و بها سمي الجهاد جهادا و دين اللّٰه يسر و قول اللّٰه صدق حيث قال ﴿مٰا«جَعَلَ» عَلَيْكُمْ فِي الدِّينِ مِنْ حَرَجٍ﴾



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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