الفتوحات المكية

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

و ﴿سٰابِقُوا﴾ [الحديد:21] و «من تقرب إلي شبرا تقربت منه ذراعا» و الموت سبب لقاء اللّٰه فكان الإنسان في حياته يسافر و يقطع المنازل بأنفاسه إلى لقاء ربه و قد جعل له حدا مخصوصا فاستعجل اللقاء فبادر إليه قبل وصوله إلى ذلك الحد و هو السبب الذي لا تعمل له في لقائه فإن كان عن شوق للقاء الحق فإنه يلقاه برفع الحجب ابتداء فإنه «قال حرمت عليه الجنة و الجنة الستر أي منعت عنه أن يستر عني فإنه بادرني بنفسه» و لم يقل ذلك على التفصيل فحمله على وجه الخبر للمؤمن لما يعضده من الأصول أولى

[الإيمان قوى السلطان في المؤمن]

و أما قوله عليه السلام فيمن قتل نفسه بحديدة و بسم و بالتردي من الجبل فلم يقل في الحديث من المؤمنين و لا من غيرهم فتطرق الاحتمال و إذا دخل الاحتمال رجعنا إلى الأصول فرأينا إن الايمان قوى السلطان لا يتمكن معه الخلود على التأبيد إلى غير نهاية في النار فنعلم قطعا إن الشارع أخبر بذلك عن المشركين في تعيين ما يعذبون به أبدا «فقال من قتل نفسه بحديدة منهم فحديدته في يده يتوجأ بها في بطنه في نار جهنم خالدا مخلدا فيها أبدا» أي هذا الصنف من العذاب هو حكمه في النار و كذلك من شرب سما فقتل نفسه فهو يتحساه في نار جهنم خالدا مخلدا فيها أبدا أي هذا النوع من العذاب يعذب به هذا الكافر و «قد ورد من قتل نفسه بشيء عذب به»

[الأدلة الشرعية تؤخذ من جهات متعددة]

و أما المؤمن فحاشى الايمان بتوحيد اللّٰه أن يقاومه شيء فتعين إن ذلك النص في المشرك و إن لم يخص الشارع في هذا الخبر صنفا بعينه فإن الأدلة الشرعية تؤخذ من جهات متعددة و يضم بعضها إلى بعض ليقوي بعضها بعضا لأن المؤمن للمؤمن كالبنيان يشد بعضه بعضا كذلك الايمان بكذا يشد للإيمان بكذا فيقوي بعضه بعضا



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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