الفتوحات المكية

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(وفق مخطوطة قونية)

دل الدليل على ثبوت السبب المخصص و دل الدليل مثلا على التوقيف فيما ينسب إلى هذا المخصص من نفي أو إثبات كما قال لنا بعض النظار في كلام جرى بيني و بينه فكنا نقف كما زعم لكن دل الدليل على ثبوت الرسول من جانب المرسل فأخذنا النسب الإلهية من الرسول فحكمنا بأنه كذا و ليس كذا فكيف و الدليل الواضح على وجوده و أن وجوده عين ذاته و ليس بعلة لذاته لثبوت الافتقار إلى الغير و هو الكامل بكل وجه فهو موجود و وجوده عين ذاته لا غيرها

«مسألة» [تعدد التعلقات الإلهية]

افتقار الممكن للواجب بالذات و الاستغناء الذاتي للواجب دون الممكن يسمى إلها و تعلقها بنفسها و بحقائق كل محقق وجودا كان أو عدما يسمى علما تعلقها بالممكنات من حيث ما هي الممكنات عليه يسمى اختيارا تعلقها بالممكن من حيث تقدم العلم قبل كون الممكن يسمى مشيئة تعلقها بتخصيص أحد الجائزين للممكن على التعين يسمى إرادة تعلقها بإيجاد الكون يسمى قدرة تعلقها بأسماع المكون لكونه يسمى أمرا و هو على نوعين بواسطة و بلا واسطة فبارتفاع الوسائط لا بد من نفوذ الأمر و بالواسطة لا يلزم النفوذ و ليس بأمر في عين الحقيقة إذ لا يقف لأمر اللّٰه شيء تعلقها بأسماع المكون لصرفه عن كونه أو كون ما يمكن أن يصدر منه يسمى نهيا و صورته في التقسيم صورة الأمر تعلقها بتحصيل ما هي عليه هي أو غيرها من الكائنات أو ما في النفس يسمى أخبارا فإن تعلقت بالكون على طريق أي شيء يسمى استفهاما فإن تعلقت به على جهة النزول إليه بصيغة الأمر يسمى دعاء و من باب تعلق الأمر إلى هذا يسمى كلاما تعلقها بالكلام من غير اشتراط العلم به يسمى سمعا فإن تعلقت و تبع التعلق الفهم بالمسموع يسمى فهما تعلقها بكيفية النور و ما يحمله من المرئيات يسمى بصرا و رؤية تعلقها بإدراك كل مدرك الذي لا يصح تعلق من هذه التعلقات كلها إلا به يسمى حياة و العين في ذلك كله واحدة تعددت التعلقات لحقائق المتعلقات و الأسماء للمسميات



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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