الفتوحات المكية

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﴿وَ عَلَّمَكَ مٰا لَمْ تَكُنْ تَعْلَمُ﴾ [النساء:113] و قال في حق عيسى ﴿وَ يُعَلِّمُهُ الْكِتٰابَ وَ الْحِكْمَةَ وَ التَّوْرٰاةَ وَ الْإِنْجِيلَ﴾ [آل عمران:48] و قال في حق خضر صاحب موسى عليه السلام ﴿وَ عَلَّمْنٰاهُ مِنْ لَدُنّٰا عِلْماً﴾ [الكهف:65] فصدق علماء الرسوم عندنا فيما قالوا إن العلم لا يكون إلا بالتعلم و أخطئوا في اعتقادهم إن اللّٰه لا يعلم من ليس بنبي و لا رسول يقول اللّٰه ﴿يُؤْتِي الْحِكْمَةَ مَنْ يَشٰاءُ﴾ [البقرة:269] و هي العلم و جاء بمن و هي نكرة و لكن علماء الرسوم لما آثروا الدنيا على الآخرة و آثروا جانب الخلق على جانب الحق و تعودوا أخذ العلم من الكتب و من أفواه الرجال الذين من جنسهم و رأوا في زعمهم أنهم من أهل اللّٰه بما علموا و امتازوا به عن العامة حجبهم ذلك عن إن يعلموا أن لله عبادا تولى اللّٰه تعليمهم في سرائرهم بما أنزله في كتبه و على ألسنة رسله و هو العلم الصحيح عن العالم المعلم الذي لا يشك مؤمن في كمال علمه و لا غير مؤمن فإن الذين قالوا إن اللّٰه لا يعلم الجزئيات ما أرادوا نفي العلم عنه بها و إنما قصدوا بذلك أنه تعالى لا يتجدد له علم بشيء بل علمها مندرجة في علمه بالكليات فأثبتوا له العلم سبحانه مع كونهم غير مؤمنين و قصدوا تنزيهه سبحانه في ذلك و إن أخطئوا في التعبير عن ذلك فتولى اللّٰه بعنايته لبعض عباده تعليمهم بنفسه بإلهامه و إفهامه إياهم فألهمها فجورها و تقواها في أثر قوله ﴿وَ نَفْسٍ وَ مٰا سَوّٰاهٰا﴾ [الشمس:7] فبين لها الفجور من التقوى إلهاما من اللّٰه لها لتجتنب الفجور و تعمل بالتقوى

[تنزيل الكتاب على الأنبياء و تنزيل الفهم على قلوب الأولياء]

كما كان أصل تنزيل الكتاب من اللّٰه على أنبيائه كان تنزيل الفهم من اللّٰه على قلوب بعض المؤمنين به فالأنبياء عليهم السلام ما قالت على اللّٰه ما لم يقل لها و لا أخرجت ذلك من نفوسها و لا من أفكارها و لا تعملت فيه بل جاءت به من عند اللّٰه كما قال تعالى



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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