Les révélations mecquoises: futuhat makkiyah

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«ورد في الخبر أنه قيل لرسول اللّٰه ﷺ أين كان ربنا قبل أن يخلق خلقه فقال رسول اللّٰه ﷺ كان في عماء ما فوقه هواء و ما تحته هواء» و قد ذكرنا فيما تقدم حديث العماء و أن فيه انفتحت صور العالم و الذي يقوم عليه الدليل إن كل شيء سوى اللّٰه حادث و لم يكن ثم كان فينفي الدليل كون ما سوى اللّٰه في كينونة الحق الواجب الوجود لذاته فدوام الإيجاد لله تعالى و دوام الانفعال للممكنات و الممكنات هي العالم فلا يزال التكوين على الدوام و الأعيان تظهر على الدوام فلا يزال امتداد الخلأ إلى غير نهاية لأن أعيان الممكنات توجد إلى غير نهاية و لا تعمر بأعيانها إلا الخلأ و قولنا فيما تقدم إن العالم ما عمر سوى الخلأ نريد أنه ما يمكن أن يعمر ملا لأن الملأ هو العامر فلا يعمر في ملا و ما ثم إلا ملا أو خلافا لعالم في تجديد أبدا فالآخرة لا نهاية لها و لو لا نحن لما قيل دنيا و لا آخرة و إنما كان يقال ممكنات وجدت و توجد كما هو الأمر فلما عمرنا نحن من الممكنات المخلوقة أماكن معينة إلى أجل مسمى من حين ظهرت أعياننا و نحن صور من صور العالم سمينا ذلك الموطن الدار الدنيا أي الدار القريبة التي عمرناها في أول وجودنا لأعياننا و قد كان العالم و لم نكن نحن مع أن اللّٰه تعالى جعل لنا في عمارة الدار الدنيا آجالا ننتهي إليها ثم تنتقل إلى موطن آخر يسمى آخرة فيها ما في هذه الدار الدنيا و لكن متميز بالدار كما هو هنا متميز بالحال و لم يجعل لإقامتنا في تلك الدار الآخرة أجلا تنتهي إليه مدة إقامتنا و جعل تلك الدار محلا للتكوين دائما أبدا إلى غير نهاية و بدل الصفة على الدار الدنيا فصارت بهذا التبديل آخرة و العين باقية و بقي من لا علم له من اللّٰه بالأمور في حيرة فعلى الحقيقة ما ثم حيرة في حق العلماء بالله و بنسبة العالم إلى اللّٰه فالعلماء في فرحة أبدا و من عداهم في ظلم الحيرة تائهون دنيا و آخرة و لو لا تجديد الخلق مع الأنفاس لوقع الملل في الأعيان لأن الطبيعة تقتضي الملل و هذا الاقتضاء هو الذي حكم بتجديد الأعيان و لذلك «قال رسول اللّٰه ﷺ عن اللّٰه تعالى إن اللّٰه لا يمل حتى تملوا» فعين ملل العالم هو ملل الحق و لا يمل من العالم إلا من لا كشف له و لا يشهد تجديد العالم مع الأنفاس على الدوام و لا يشهد اللّٰه خلاقا على الدوام و الملل لا يقع إلا بالاستصحاب فإن قلت فالدوام على تجديد الخلق استصحاب و الملل ما وقع مع وجود الاستصحاب قلنا الأحكام الذاتية لا يمكن فيها تبدل و الخلاق لذاته يخلق و العالم لذاته ينفعل فلا يصح وجود الملل فالتقليب في النعيم الجديد لا يقتضي الملل في المنقلب فيه لأنه شهود ما لم يشهد بفرح و ابتهاج و سرور و لهذا قال تعالى



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