Les révélations mecquoises: futuhat makkiyah

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﴿يَتْلُونَ آيٰاتِ اللّٰهِ آنٰاءَ اللَّيْلِ﴾ [آل عمران:113] و النهار و قد كنا بفأس من بلاد المغرب قد سلكنا هذا المسلك لموافقة أصحاب موفقين كانوا لنا سامعين و طائعين و فقدناهم ففقدنا لفقدهم هذا العمل الخالص و هو أشرف الأرزاق و أعلاها فأخذنا لما فقدنا مثل هؤلاء في بث العلم من أجل الأرواح الذين غذاؤهم العلم و رأينا أن لا نورد شيئا منه إلا من أصل هو مطلوب لهذا الصنف الروحاني و هو القرآن فجميع ما نتكلم فيه في مجالسي و تصانيفي إنما هو من حضرة القرآن و خزائنه أعطيت مفتاح الفهم فيه و الإمداد منه و هذا كله حتى لا نخرج عنه فإنه أرفع ما يمنح و لا يعرف قدره إلا من ذاقه و شهد منزلته حالا من نفسه و كلمه به الحق في سره فإن الحق إذا كان هو المكلم عبده في سره بارتفاع الوسائط فإن الفهم يستصحب كلامه منك فيكون عين الكلام منه عين الفهم منك لا يتأخر عنه فإن تأخر عنه فليس هو كلام اللّٰه و من لم يجد هذا فليس عنده علم بكلام اللّٰه عباده فإذا كلمه بالحجاب الصوري بلسان نبي أو من شاء اللّٰه من العالم فقد يصحبه الفهم و قد يتأخر عنه هذا هو الفرق بينهما و أما الأرزاق المحسوسة فإنه لا حكم له فيها إلا في بقية اللّٰه فمن أكل مما خرج عن هذه البقية لم يأكل من يد هذا الإمام العادل و ليس مسمى رزق اللّٰه في حق المؤمنين إلا بقية اللّٰه و كل رزق في الكون من بقية اللّٰه و ما بقي إلا أن يفرق بينهما و ذلك أن جميع ما في العالم من الأموال لا يخلو إما أن يكون لها مالك معين أو لا يكون لها مالك فإن كان لها مالك معين فهي من بقية اللّٰه لهذا الشخص و إن لم يكن لها مالك معين فهي لجميع المسلمين فجعل اللّٰه لهم وكيلا هذا الإمام يحفظ عليهم ذلك فهذا من بقية اللّٰه الذي زاد على المال المملوك فكل رزق في العالم بقية اللّٰه إن عرفت معنى بقية اللّٰه فمال زيد بقية اللّٰه لزيد لما حجر اللّٰه عليه التصرف في مال عمرو بغير إذنه و مال عمرو بقية اللّٰه لعمرو لما حجر عليه التصرف في مال زيد بغير إذنه فما في العالم رزق إلا و هو بقية اللّٰه فيحكم الإمام فيه بقدر ما أنزل اللّٰه من الحكم فيه

[الناس على حالتين]



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