Les révélations mecquoises: futuhat makkiyah

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

و إذا أحب اللّٰه عبده كان جميع قواه و جوارحه و هو لا يتصرف إلا بقواه و جوارحه فلا يتصرف إلا بالله فيكون محفوظ التصرف في حركاته و سكناته

[ما ثم حال و لا صفة في المكلف تخرج عن حكم الشرع]

ثم لتعلم أنه من جهة اتصافه بها تكليف المكلف فقد زال عنه إما بالكلية و إما بالتعليق عند جميع الفقهاء و عندنا ليس كذلك لأنه ما ثم حال و لا صفة في مكلف تخرج عن حكم الشرع ممن غلب عليه الحال أو الجنون أو النسيان أو النوم أو الذي لم يبلغ حد الحلم فلم يخرج أحد من هؤلاء عن حكم الشرع فإنه قد شرع لكل صاحب حال و صفة حكما إما بالإحاطة أو غير ذلك من أحكام الشرع لأنه لا يخلو عن حكم مشروع لصاحب تلك الحال فما ثم إلا مكلف فما ارتفع التكليف فإن هؤلاء الذين تقول فيهم الفقهاء قد ارتفع عنهم خطاب الشرع لم يرتفع فإن الشرع قد أباح له التصرف فيما يقتضيه طبعه كالحيوان و لا حرج عليه في ذلك فكيف يقال زال عنه حكم الشرع و الشرع قد حكم له بالإباحة كما حكم للعاقل البالغ بالإباحة فيما أباح له فإن الحكم في الأشياء للشرع لا للعقل و الشرع هو حكم اللّٰه في الأشياء و ما ثم شيء خرج عن حكم اللّٰه فيه بأمر ما هذا نظر أهل اللّٰه لأنهم لا يزالون في كل نفس حاضرين مع اللّٰه

[أحكام الشرع و إن تعلقت بالأعيان مبنية على الأحوال]

و أحكام الشرع و إن تعلقت بالأعيان فإنها مبنية على الأحوال فما خوطبت عين بأمر ما إلا لحال هي عليه لأجل ذلك الحال خوطب بما خوطب به لا لعينه فإن العين لا تزال باقية و الأحوال تتغير فيتغير حكم الشرع على العين لتغير الحال فحال الطفولة و الإغماء و الجنون و غلبة الحال و الفناء و السكر و المرض للشرع فيها أحكام كما لحال الرجولة و الإفاقة و الصحة و البقاء و الصحو و عدم غلبة الحال للشرع فيها أحكام فحكم الشرع سار في جميع الأحوال لمن عقل سريان الحق في وجود الأعيان



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