الفتوحات المكية

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و دل عليه دليل العقل و العمل من الأشياء و هو يعلمه و يعلم حيث هو فكيف يضيع عنه أو يضيعه و هو خلق من خلقه يسبح بحمده فإن كانت حياته عن نفخ ربه سبح بحمده و إن كانت حياته عن حضور عامله و منشئه و كان العمل ما كان سبح بحمده و استغفر لعامله فهذا الفرقان بين العملين فإن أعطى اللّٰه المغفرة لغير الحاضر فإنما ذلك مراعاة إلهية لكون هذا العبد أنشأ بوجوده صورة و لا بد لكل صورة من روح فإن اللّٰه يغفر له لكونه ظهرت عنه صورة نفخ الحق فيها روحا منه فسبحت بحمده فلهذا الاشتراك لحقت المغفرة صاحب ذلك العمل كان من كان و لحقته متى لحقته و التروك لا تكون أعمالا إلا إذا نويت و ما لم ينوها صاحبها فإنها ليست بعمل فإن الأعمال منها ظاهرة و باطنة أو يترك الإنسان ما أمر بفعله فإن الترك عدم محض إلا أن هناك دقيقة و ذلك أن العمل الذي يكون فيه في زمان ترك ما أوجب اللّٰه عليه فعله هو الذي يكون صورة من إنشاء عامله لا عين الترك فإن الزمان إنما هو لذلك العمل المتروك حتى يتوب و هذا أشد المعاصي و أعظمها و لهذا ذهب من ذهب من أهل الظاهر إلى أنه من صلى ركعتي الفجر و لم يضطجع فإن صلاة الصبح لا تصح له و إن لم يركع الفجر لم يجب عليه الاضطجاع و جازت صلاة الصبح و غايته أنه ترك سنة مؤكدة لا إثم عليه في تركها و هذا عين ما ذكرناه و التعليل واحد فكل عمل مأمور به على طريق الفرض و الوجوب و ترك فإن العمل الذي يقوم الإنسان فيه على البدل من العمل المأمور به هو الذي يقوم صورة لا عين الترك فافهم و لكن إذا كان العمل المتروك يشغل زمانا بذاته لا يصح في ذلك الزمان غيره و يكون مطلقا لا يكون زمانا مقيدا و يكون العمل ممن يحرم على العامل التصرف في عمل غيره كالصلاة فإن لم يكن كذلك فأي عمل عمله فإنه مقبول أعني من أعمال الخير لأنه عمله في زمان يجوز له فيه عمله فأحسن العمل ما عمل بشرطه و في زمانه و تمام خلقه و كمال رتبته في حاله فحينئذ يكون صورة مخلوقة فافهم ذلك و اعمل بحسبه فإنك تنتفع بذلك إن شاء اللّٰه

«الباب الثاني و الثمانون و أربعمائة في حال قطب كان منزله

﴿وَ مَنْ يُسْلِمْ وَجْهَهُ
إِلَى اللّٰهِ وَ هُوَ مُحْسِنٌ فَقَدِ اسْتَمْسَكَ بِالْعُرْوَةِ الْوُثْقىٰ وَ إِلَى اللّٰهِ عٰاقِبَةُ الْأُمُورِ﴾

»



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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