الفتوحات المكية

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فلنذكر ما فيه من العلوم كسائر المنازل فنقول فيه علم رحمة الخلان و الفرق بينها و بين رحمة المحبوبين و الأبناء و الآباء و المستلذات كلها و فيه علم حلاوة التنزل و أين يحس بها من نفسه من ينزل عليه القرآن جديدا عند تلاوته و فيه علم الأغيار و الأسرار و الأنوار و الهداية و أنواع المحامد و المراتب الخاصة بكل نفس مما لا يقع لأحد معه فيها اشتراك و ذلك إنا نعلم أنه لكل نفس صفة أو حقيقة تختص بها و تتميز بها عن كل شيء في العالم لا بد من ذلك فإذا جاءها الأمر الإلهي من طريق تلك الحقيقة الخاصة فإن ذوقه ذلك مقصور عليها و هذا أدنى حظ النفس من مقام العزة الإلهية فإنه لكل نفس و إن لم تشعر به و هو كفعل الأمور الطبيعية بالخاصية كالمغناطيس و أشباهه غير أن الخاصية في الأمور الطبيعية على نوعين بالإفراد و بالمجموع و في المزاج الخاص فإن الخواص الطبيعية ما تسري في كل مزاج و لا في كل صورة و خاصية أهل اللّٰه إذا وقفوا عليها ذوقا من أنفسهم سرى حكمها في كل ما في العالم و فيه علم الملكوت و المشاهدة و رؤية المعدوم في حال عدمه من غير تخيل و لا تمثل و لا بإدراك خيال بل بالبصر الحسي و فيه علم أسباب التحير و الحيرة و فيه علم ما يعلم الإنسان إلا ما يعطيه استعداده إذا استعمله أو فجأه لا يقبل فوق ذلك فإنه ليست له قوة القبول و فيه علم الرسل و الرسالة و فيه علم إن الإنسان عالم بالذات إلا أنه ينسى فكل علم يحصل له إنما هو تذكر و لا يشعر به أنه تذكر إلا أهل اللّٰه و فيه علم البلايا و النعم و فيه علم الفرقان في التعريف بين التقرير و التوبيخ و ما يكون على طريق المنة أو المطالبة و فيه علم صفات التنزيه في الأفعال و أن كل طلب في العالم أو من كل طالب إنما هو طلب ذاتي ما ثم طلب عارض لا يكون بالذات هذا لا يكون و إنما يعرض للشخص أمر ما لم يكن عنده فهذا الأمر الذي حصل عنده هو الذي يكون له الطلب الذاتي للمطلوب و انحجب الناس بمن قام به ذلك الأمر العارض و هو الذي يسمونه طالبا و ليس الطالب إلا ذلك الأمر فالطلب له ذاتي و الشخص الذي قام به هذا الأمر مستخدم له إذ قد كان موجودا و هو فاقد لهذا الطلب فعلمنا أنه طلب مستخدم في أمر ما أوجب عليه هذا الأمر الذي حل به فالطلب ذاتي لذلك الأمر و قد استخدم في تحصيله هذا الشخص الذي نزل به و لا شعور للناس بذلك و فيه علم النظر و التفكر و الاعتبار و أن العالم بعضه لبعض عبرة و فيه علم ما يختص به اللّٰه من العلوم المتفرقة في العالم و ذلك جمعيتها لا يعلم ذلك إلا اللّٰه هذا فيما دخل في الوجود منه مع علمه بما لم يدخل في الوجود و لا اتصف بالعلم به مخلوق فله من علم الدنيا علم الجمعية بما أضيف إليه من علم الأخرى و لا بد من ذلك و فيه علم الاستدلال بالمحدث على القديم و ما يحصل في النفس من ذلك فإن القديم لا يحصل في النفس و إن حصل المحدث فما هو المطلوب و كل ما حصل محدث و فيه علم ما يكون التوكل فيه شكر اللّٰه تعالى و فيه علم من قام به معنى أوجب له اسما يستحقه و من هنا تعرف أسماء اللّٰه الحسنى من أسمائه فإن أسماء اللّٰه في الكون عن آثار هذه النفوس و أسماء الكون عن المعاني القائمة به فالحق منزه في أسمائه واحد العين و الكون متكثر بأسمائه لقيام المعاني به التي أوجبت له الأسماء و فيه علم أسباب الميراث و فيه علم من ظفر و من خاب و الكل طالب و فيه علم مشاهدة الموت مع كونه نسبة عدمية و فيمن يحكم و أنه لا حكم للموت فيمن لا تركيب فيه و كل مركب بالوضع فإنه يقبل الموت فإن لم يمت فذلك لأمر آخر اقتضته المشيئة الإلهية و قد يجعل له سببا ظاهرا أو معلوما و قد لا يكون إلا حكم عين المشيئة خاصة و فيه علم الحكم على اللّٰه بما يقتضيه من حيث ما هو ممكن لا بما هو اللّٰه عليه و قد ورد في القرآن من ذلك كثير و لكن لا يعلم معنى ذلك إلا العلماء بما تعطيه حقائق الموجودات و العالمون بماهية الأشياء و فيه علم يوم القيامة و الحشر و النشر و ما يختص به ذلك اليوم من الحكم و من هو الحاكم فيه و مراتب المتصرفين فيه و فيه علم الأمر المقتضي في ذلك اليوم ما هو و فيه علم تشبيه الإنسان بالنبات من حيث ما هو شجر لا من حيث ما هو نجم و من هنا نهى أن يقرب الشجرة آدم فهو تنبيه على نهيه أن يقرب أغراض نفسه و هواها و هو قوله



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