الفتوحات المكية

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فجعل لنا عندية و ما هي ظرف مكان في حقنا فعجبت من العلماء كيف غفلوا عن تحقيق هذه العندية التي اتصف بها الحق و الإنسان ثم إن اللّٰه جعل عنديته ظرفا لخزائن الأشياء و معلوم أنه يخلق الأشياء و يخرجها من العدم إلى الوجود و هذه الإضافة تقضي بأنه يخرجها من الخزائن التي عنده فهو يخرجها من وجود لم تدركه إلى وجود ندركه فما خلصت الأشياء إلى العدم الصرف بل ظاهر الأمر إن عدمها من العدم الإضافي فإن الأشياء في حال عدمها مشهودة له يميزها بأعيانها مفصلة بعضها عن بعض ما عنده فيها إجمال فخزائنها أعني خزائن الأشياء التي هي أوعيتها المخزونة فيها إنما هي إمكانات الأشياء ليس غير ذلك لأن الأشياء لا وجود لها في أعيانها بل لها الثبوت و الذي استفادته من الحق الوجود العيني فتفصلت للناظرين و لا نفسها بوجود أعيانها و لم تزل مفصلة عند اللّٰه تفصيلا ثبوتيا ثم لما ظهرت في أعيانها و أنزلها الحق من عنده أنزلها في خزائنها فإن الإمكان ما فارقها حكمه فلو لا ما هي في خزائنها ما حكمت عليها الخزائن فلما كان الإمكان لا يفارقها طرفة عين و لا يصح خروجها منه لم يزل المرجح معها لأنه لا بد أن تتصف بأحد الممكنين من وجود و عدم فما زالت هي و الخزائن عند اللّٰه إذا المرجح لا يفارق ترجيح أحد الممكنين على هذه الأشياء فما لها خروج من خزائن إمكانها و إنما الحق سبحانه فتح أبواب هذه الخزائن حتى نظرنا إليها و نظرت إلينا و نحن فيها و خارجون عنها كما كان آدم خارجا عن قبضة الحق و هو فيه قبضة الحق يرى نفسه في الموطنين فمن رأى الأشياء و لم ير الخزائن و لا رأى اللّٰه الذي عنده هذه الخزائن فما رأى الأشياء قط فإن الأشياء لم تفارق خزائنها و خزائنها لم تفارق عندية اللّٰه و الضمائر و العندية الإلهية لم تفارق ذاته فمن شهد واحدا من هذه الأمور فقد شهد المجموع

عندية الحق عين ذاته *** فيها لأشيائه خزائن

ينزل منها الذي يراه *** فهي لما يحتويه صائن

إنزاله لم يزله عنها *** لأنه أعين الكوائن



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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