الفتوحات المكية

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

غير أن بعض الناس يعرفون الروحاني إذا تجسد من خارج من غيره من الناس أو من جنس تلك الصورة التي يظهر فيها و ما كل أحد يعرف ذلك و يفرقون أيضا بين الصورة الروحانية المعنوية المتجسدة و بين الصورة الممثلة من داخل بعلامات يعرفونها و قد علمتها و تحققتها فإني أعرف الروح إذا تجسد من خارج أو من داخل من الصورة الجسمية الحقيقية و العامة لا تعرف ذلك و الملائكة كلهم يعرفون الإنسان إذا تروحن و ظهر فيهم بصورة أحدهم أو بصورة غريبة لم يروا مثلها فيزيدون على عامة البشر بهذا و ينقصهم أن يظهروا في عالمهم على صور بعضهم كما نظهر في عالمنا إذا كان لنا هذا المقام في صورة جنسنا فسبحان العليم الحكيم مقدر الأشياء و القادر عليها لا إله إلا هو العليم القدير

[العلم الإلهي في التجلي الإلهي]

و اعلم أن أصل هذا الأمر الذي ذكرته في هذه المسألة إنما هو من العلم الإلهي في التجلي الإلهي فمن هناك ظهر هذا الأمر في عالم الغيب و الشهادة إذ كان العالم بجملته و الإنسان بنسخته و الملك بقوته على صورة مقام التجلي في الصور المختلفة و لا يعرف حقيقة تلك الصور التي يقع التحول فيها على الحقيقة إلا من له مقام التحول في أي صورة شاء و إن لم يظهر بها و ليس ذلك المقام إلا للعبد المحض الخالص فإنه لا يعطيه مقام العبودية أن يتشبه بشيء من صفات سيده جملة واحدة حتى أنه يبلغ من قوته في التحقق بالعبودية أنه يفنى و ينسى و يستهلك عن معرفة القوة التي هو عليها من التحول في الصور بحيث أن لا يعرف ذلك من نفسه تسليما لمقام سيده إذ وصف نفسه بذلك و لو لا هذا الأصل الإلهي و أن الحق له هذا و هو في نفسه عليه ما صح أن تكون هذه الحقيقة في العالم إذ يستحيل أن يكون في العالم أمر لا يستند إلى حقيقة إلهية في صورته التي يكون عليها ذلك الأمر و لو كان لكان في الوجود من هو خارج عن علم اللّٰه فإنه ما علم الأشياء إلا من علمه بنفسه و نفسه علمه و نحن في علمه كالصور في الهباء لو كنت تعلم يا فتى من أنت علمت من هو إذ لا يعلم اللّٰه إلا من يعلم نفسه



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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