الفتوحات المكية

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

توجه هذا الاسم على إيجاد السماء الدنيا و كوكبها و فلكه يوم الإثنين في منزلة الإكليل و عن حركة هذا الفلك حرف الدال المهملة و له كل حكم يظهر في العالم يوم الإثنين روحا و جسما و هذا كله بنهار ذلك اليوم لا بليله فإن ليلة كل يوم ما هي الليلة التي يكون ذلك اليوم في صبيحتها و لا الليلة التي تكون بغروب شمسه في ذلك اليوم و قد ذكرنا ذلك في كتاب الشأن و إنما ليلته التي لذلك اليوم هي في أول ساعة من الليل الذي هو حاكم في أول ساعة من النهار فذلك يوم تلك الليلة و تلك الليلة ليلة ذلك اليوم فهذا أريد

[الإنسان سريع التغيير في باطنه كثير الخواطر]

اعلم أن هذه السماء الدنيا أوحى اللّٰه فيها أمرها و أسكنها آدم و هو الإنسان الفرد أصل هذا النوع و هو قوله تعالى ﴿خَلَقَكُمْ مِنْ نَفْسٍ وٰاحِدَةٍ﴾ [النساء:1] إلا أنه جعله اللّٰه أعني الإنسان سريع التغيير في باطنه كثير الخواطر يتقلب في باطنه في كل لحظة تقلبات مختلفة لأنه على الصورة الإلهية و هو سبحانه كل يوم في شأن : فمن المحال ثبوت العالم زمانين على حالة واحدة بل يتغير عليه الأحوال و الأعراض في كل زمان فرد و هو الشئون التي هو الحق فيها لمن علم ما قال اللّٰه و لا يظهر سلطان ذلك إلا في باطن الإنسان فلا يزال يتقلب في كل نفس في صور تسمى الخواطر لو ظهرت إلى الأبصار لرأيت عجبا و أسرع الحركات الفلكية حركة هذا الفلك بكوكبه الذي هو القمر فهو أسرع سير في قطع فلك المنازل من غيره من السيارة و له في كل يوم منزلة فيقطع الفلك في ثمانية و عشرين يوما فكان ظهور الأثر في الكون سريعا لسرعة الحركة فناسب آدم في سرعة خواطره فأسكنه هذه السماء و جعل نسم بنيه عن يمينه و يساره أسودة يرى شخوصها أهل الكشف و عن يمينه عليون و عن يساره السفل فلا يخفى عنه من أحوال بنيه شيء



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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