الفتوحات المكية

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[أن سبب وجود العالم هو الحب]

و منه تلقى ذلك و كان سبب التجلي الحب فإنه أصل سبب وجود العالم و السماع سبب كونه و قد بينا هذا في باب السماع و المحبة و أما صورة تلقي النفس ما عندها من العلوم فهو على وجهين هي و كل موجود عن سبب و يختلف باختلاف تنوع الأسباب الوجه الواحد إذا كان التلقي لكل موجود عند سبب من وجهه الخاص به فلا يكون إلا عن تجل إلهي سواء علمه المتجلي له أو لم يعلمه فإن علمه كان من العلماء بالله و إن لم يعلمه كان من أهل العناية و هو لا يشعر إنه معتنى به فإن أكثر الناس لا يعلمون حديث هذا الوجه الخاص و لا يعرفونه فإنه علم خاص لا يعطيه اللّٰه إلا لمن اختصه و اصطنعه لنفسه من عباده

[إن الأسباب مختلفة]

و أما الوجه الآخر من التلقي فهو ما يستفيده من السبب و لا تحصى طرقه فإن الأسباب مختلفة فأين سببية العقل فيما يظهر على النفس من توجهه و تلقيها من سببية السماء فيما يظهر على الأرض من النبات من توجهها عليها بما تلقيه من الغيث فيها و تلقيها لذلك و لكل حركة فلكية و نظر كوكب في العالم العلوي و إمداد الطبيعة كل ذلك أسباب لوجود زهرة تظهر على وجه الأرض أين هذا من توجه سببية العقل فلهذا قلنا ما تنحصر أسبابه مع كونها منحصرة في نفس الأمر فمن النفس إلى آخر ركن في العالم و بعض المولدات ما بين النفس و آخر ركن من الأفلاك و الكواكب و الحركات في وجود عين تلك الزهرة و الورقة أثر و حكم عن أمر إلهي قد يعلمه السبب الحادث و قد لا يعلمه و هي أسباب ذاتية كلها و منها عرضية كإلقاء المدرس الدرس على الجماعة فهذا من الأسباب العرضية و هو كل ما كان للسبب فيه إرادة و ما عدا ذلك فهو ذاتي فالعلاقة التي بين الأسباب و المسببات لا تنقطع فإنها الحافظة لكون هذا سببا و هذا مسببا عنه و لما أوجد اللّٰه هذه النفس الكلية من نفس الرحمن بعد العقل كوجود الهاء بعد الهمزة أو الهمزة بعد الهاء في النفس الإنساني المخلوق على الصورة فهو في النفس الرحماني نفس كلية و في النفس الإنساني هاء و ضمير و كناية فهي تعود من حيث ما هي ضمير على من أوجدها فإنها عين الدلالة عليه فافهم فإن الدلالة لا تكون إلا في الثاني فإنه يطلب الأول و ليس الأول يطلب الثاني بحكم الدلالة و لهذا «قال رسول اللّٰه ﷺ من عرف نفسه عرف ربه» و هو الثاني فإنه موضع الدلالة و قال في الأول



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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