الفتوحات المكية

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

[موقف بعض العلماء بالله من ترك الزلة في الحال]

و من العلماء بالله من يكون ترك الزلة في الحال عندهم أن لا يشهدوا أنها زلة و هو عين قضاء اللّٰه فيها لأنه الذي حكم أنها زلة و من حيث إنها فعل من أفعال اللّٰه فهي في غاية الحسن و الجمال و إنما سميت زلة من زل إذا زلق أي زلت من نسبة كونها من أفعال اللّٰه إلى حكم اللّٰه فيها بالذم فحكم اللّٰه فيها بالزلل عن هذه المرتبة فاعلم و من العلماء بالله من يكون ترك الزلة في حقه أن يشهد الزلة في ذلك الفعل من كونها زلة لا من كونها فعلا يتعلق به الذم أو الحمد فيشهد نسبتها للعبد التي بها سميت زلة ثم يتبعها الذم و إن كان كل فعل إلهي نسب إلى العبد من هذا الباب فجميع الأفعال الكونية كلها زلل محمودها و مذمومها

[موقف بعض الناس من ترك الزلة في الحال]

و من الناس من يكون ترك الزلة في الحال في حقه شغله برجوعه إلى ربه و الذلة رجوعه عن ربه فهو في النقيض و من هو في النقيض بالحال لا يكون في نقيضه فبالضرورة لا يكون له في هذه الحال زلة و من الناس من يكون ترك الزلة في الحال في حقه هو شغله بشهوده رجوع الحق عليه ليرجع إليه ليفرق ما بين رجوعه عليه ليرجع إليه و بين رجوع آخر لا ليرجع إليه ليميز بين الرجوعين ليقيم على نفسه ميزان ما يجب عليه في ذلك من اللّٰه من عمل من الأعمال من ذكر بلسان أو قلب أو عمل بجارحة أو المجموع أو بعض المجموع و من كان بهذه المثابة من الشغل فلا تقوم به زلة في الحال و من الناس من يكون ترك الزلة في الحال في حقه أن يشهد رجوع الحق إليه لا ليميز و لا ليرجع إليه بل ليعلم حقيقة معنى الرجوع الإلهي لما ذا ينسبه هل إلى الذات أو لاسم إلهي و ما سبب ذلك الرجوع هل هو ذاتي أو غير ذاتي أو لا نسبة له إلى الذات فهذه الوجوه و أمثالها مما يطلبه ترك الزلة في الحال



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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