الفتوحات المكية

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(وفق مخطوطة قونية)

فلهذا قلنا في «قوله العظمة ردائي» أي هي رداؤه الذي تلبسه عقول العلماء به و جعلها رداء و لم يجعلها ثوبا فإن الرداء له كمية واحدة و الثوب مؤلف من كميات مختلفة ضم بعضها إلى بعض كالقميص و كذلك أيضا الإزار مثل الرداء و لم يقل السراويل لأن ذلك أقرب إلى الأحدية من الثوب المؤلف لتنوع الشكل

(السؤال الخامس و مائة)ما الإزار

الجواب حجاب الغيرة و الستر على تأثير القدرة الإلهية في الحقيقة الخامسة الكلية الظاهرة في القديم قديمة و في المحدثات محدثة و هو ظهور الحقائق الإلهية و الصور الربانية في الأعيان الثابتة الموصوفة بالإمكان التي هي مظاهر الحق فلا يعلم نسبة هذا الظهور إلى هذا المظهر إلا اللّٰه سبحانه و تعالى فالحجاب الذي حال بيننا و بين هذا العلم هو المعبر عنه بالإزار و هي كلمة كن و لا أريد به حرف الكاف و الواو و النون و إنما أريد به المعنى الذي به كان هذا الظهور

(السؤال السادس و مائة)ما الرداء

الجواب العبد الكامل المخلوق على الصورة الجامع للحقائق الإمكانية و الإلهية و هو المظهر الأكمل الذي لا أكمل منه الذي قال فيه أبو حامد ما في الإمكان أبدع من هذا العالم لكمال وجود الحقائق كلها فيه و هو العبد الذي ينبغي أن يسمى خليفة و نائبا و له الأثر الكامل في جميع الممكنات و له المشيئة التامة و هو أكمل المظاهر و اختلف العلماء هل يصح أن يكون منه في الوجود شخصان فصاعدا أو لا يكون إلا شخص واحد فإن كان شخص واحد فمن هو ذلك الشخص و من أي قسم هو من أقسام الموجودات هل من البشر أو من الجن أو من الملائكة

[الإنسان الكامل مستهلك في الحق و الحق مستهلك فيه]

و إنما سماه رداء لأنه مشتق من الردي المقصور و هو الهلاك لأنه مستهلك في الحق استهلاكا كليا بحيث أن لا يظهر له وجود عين مع ظهور الانفعالات الإلهية عنه فلا يجد في نفسه حقيقة ينسب بها شيئا من تلك الانفعالات إليه فيكون حقا كله و هو



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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