الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 2864 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

ثم إن اللّٰه جعل هذا البيت الذي هو محل ذكر اسم اللّٰه على أربعة أركان كذلك جعل اللّٰه القلب على أربع طبائع تحمله و عليها قامت نشأته كقيام البيت اليوم على أربعة أركان كقيام العرش على أربعة حملة اليوم كذا ورد في الخبر أنهم اليوم أربعة و غدا يكونون ثمانية فإن الآخرة فيها حكم الدنيا و الآخرة فلذلك تكون غدا ثمانية فيظهر في الآخرة حكم سلطان الأربعة الأخر و كذلك يكون القلب في الآخرة تحمله ثمانية الأربعة التي ذكرناها و الأربعة الغيبية و هي العلم و القدرة و الإرادة و الكلام ليس غير ذلك فإن قلت فهي موجودة اليوم فلما ذا جعلتها في الآخرة قلنا و كذلك الثمانية من الحملة موجودون اليوم في أعيانهم لكن لا حكم لهم في الحمل الخاص إلا غدا كذلك هذه الصفات التي ذكرناها لا حكم ينفذ لهم في الدنيا دائما و إنما حكمهم في الآخرة للسعداء و حكم الأربعة الذين هم طبائع هذا البيت ظاهرة الحكم في الأجسام فإن قلت فما معنى قولك حكمهم قلت فإن العلم لا يشاهد العالم معلومه إلا في الآخرة و القدرة لا ينفذ حكمها إلا في الآخرة فلا يعجز السعيد عن تكوين شيء و إرادته غير قاصرة فما يهم بشيء يريد حضوره إلا حضر و كلامه نافذ فما يقول لشيء كن إلا و يكون فالعلم له عين في الآخرة و ليس هذا حكم هذه الصفات في النشأة الدنيا مطلقة فاعلم ذلك فالإنسان في الآخرة نافذ الاقتدار

[بيت اللّٰه قلب عبده المؤمن]

فالله بيته قلب عبده المؤمن و البيت بيت اسمه تعالى و العرش مستوي الرحمن ف‌ ﴿أَيًّا مٰا تَدْعُوا فَلَهُ الْأَسْمٰاءُ الْحُسْنىٰ﴾ [الإسراء:110] ف‌ ﴿لاٰ تَجْهَرْ بِصَلاٰتِكَ وَ لاٰ تُخٰافِتْ بِهٰا﴾ [الإسراء:110]



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!