الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 2122 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

من كان وجها كله يستقبل ربه بذاته كان رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم يرى من خلفه كما يرى من أمامه فكان وجها كله فينبغي للمستسقي ربه أن يقبل على ربه بجميع ذاته فإنه ما فيه جزء محسوس أو معنوي ظاهر أو باطن إلا و هو فقير محتاج إلى رحمة اللّٰه به في استجلاب نعمه أو بقاء النعم عليه و لهذا يجيب اللّٰه المضطر في الدعاء فإن المضطر هو الذي دعا ربه عن ظهر فقر إليه و ما منع الناس الإجابة من اللّٰه في دعائهم إياه إلا كونهم يدعونه عن ظهر غنى لالتفاتهم إلى الأسباب و هم لا يشعرون و ينتجه عدم الإخلاص و المضطر المضمون له الإجابة مخلص مخلص ما عنده التفات إلى غير من توجه إليه

[فخر الدين الرازي في السجن]

أخبرني الرشيد الفرغاني رحمه اللّٰه عن فخر الدين شيخه ابن خطيب الري عالم زمانه أن السلطان حبسه و عزم على قتله و ما له شفيع عنده مقبول قال فطمعت أن أجمع همي على اللّٰه في أمري أن يخلصني من يد السلطان لما انقطعت بي الأسباب و حصل الياس من كل ما سوى اللّٰه فما تخلص لي ذلك لما يرد علي من الشبه النظرية في إثبات اللّٰه الذي ربطت معتقدي به إلى أن جمعت همتي و كليتي على الإله الذي تعتقده العامة و رميت من نفسي نظري و أدلتي و لم أجد في نفسي شبهة تقدح عندي فيه و أخلصت إليه التوجه بكلي و دعوته في التخلص فما أصبح إلا و قد أفرج اللّٰه عني و أخرجني من السجن فهذا اعتبار استقبال القبلة فإن ذلك إشارة إلى القبول

(وصل اعتبار الوقوف عند الدعاء)

القيام في الاستسقاء عند الدعاء مناسب لقيام الحق بعباده فيما يحتاجون إليه فإنه طلب للرزق بإنزال المطر الذي تركن نفوسهم إليه و يستبشرون بقول اللّٰه



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!