الفتوحات المكية

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الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

فنحن مأمورون باتباعه فيما سن و فرض فنجازي من اللّٰه تعالى فيما فرض جزاء فرضين فرض الاتباع و فرض الفعل الذي وقع فيه الاتباع و نجازي فيما سن و لم يفرضه جزاء فرض واحد و سنة فرض الاتباع و سنة الفعل الذي لم يوجبه فإن حوى ذلك الفعل على فرائض جوزنا جزاء الفريضة بما فيه من الفرائض كنافلة الصلاة و نافلة الحج فإنها عبادة تحوي على أركان و سنن و نوافل صدقة التطوع ما فيها شيء من الفرائض فنجازي في كل عمل بحسب ما يقتضيه ذلك العمل مما وعد اللّٰه للعامل به من الخير و لا بد من فرضية الاتباع فاعلم ذلك

[أدراج منبر الرسول الثلاث و مراتب الأسماء الثلاثة]

فالعارف يحمل درجات المنبر على الترقي في الأسماء الإلهية بالتخلق و فيها درج عال كالقادر و العالم و درج دونه كالمقتدر و حتى نعلم و كان لمنبر رسول اللّٰه ﷺ ثلاث أدراج و كذلك الأسماء على ثلاث مراتب لكل درج مرتبة فأسماء تدل على الذات لا تدل على أمر آخر و أسماء تدل على صفات تنزيه و أسماء تدل على صفات أفعال و ما ثم مرتبة رابعة و كل هذه الأسماء قد ظهرت في العالم فأسماء الذات يتعلق بها و لا يتخلق و أسماء صفات التنزيه يقدس بها جناب الحق تعالى و يتخلق بها العبد بحسب ما تعطيه مما يليق به فكما إن العبد يقدس جلال اللّٰه أن تقوم به صفات الحدوث كذلك يقدس العبد بهذه الأسماء في التخلق بها نفسه أن تقوم به صفات القدم و الغني المطلق و أسماء صفات الأفعال يوحد العبد بها ربه فلا يشرك في فعله تعالى أحدا من خلقه و ما في الحضرة الإلهية سوى ما ذكرناه و لا في الإنسان سوى ما ذكرناه و لا في الإمكان سوى ما ذكرناه فالعبد لا يكون ربا لمن هو عبد له و الرب لا يكون عبدا تعالى اللّٰه فليس في الإمكان أبدع من هذا العالم لكماله في الدلالة عليه و استيعابه ما نسب الحق إلى نفسه و إلى العالم فإن قلت فقول رسول اللّٰه ﷺ في دعائه بالأسماء الإلهية حين



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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