الفتوحات المكية

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﴿تَحِيَّةً مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ مُبٰارَكَةً﴾ [النور:61] كما جاء في سمع اللّٰه لمن حمده فكذلك يقولها في الصلاة نيابة عن الحق جل جلاله و تقدست أسماؤه لأنه ما ثم من حدث له حال دخول أو خروج فيكون السلام منه أو عليه فدل على أنه تجل خاص و لا بد فافهم إن أردت أن تكون من أهل هذا المقام في الصلاة ثم عطف من غير إظهار لفظ السلام على عباد اللّٰه الصالحين فشمل بالألف و اللام ليصيب سلامه كل عبد صالح لله في السموات و الأرض و لا ينوي من الصالحين ما هو المعهود في العرف ما ثم إلا صالح فإن اللّٰه يقول ﴿وَ إِنْ مِنْ شَيْءٍ إِلاّٰ يُسَبِّحُ بِحَمْدِهِ﴾ [الإسراء:44] فكل شيء ينزه ربه فهو إذن صالح هذا من علوم الايمان و الكشف فانو بالصالحين الذين استعملوا فيما صلحوا له و ليس سوى التسبيح فإن اللّٰه أخبر عنهم أنهم بهذه الصفة فلم يبق كافر و لا مؤمن إلا و قد شملت تفاصيله هذه الآية و لكن أكثر الناس لا يعلمون لأنهم لا يسمعون و لا يشهدون و لهذا لم يذكر لفظة السلام في هذا العطف و اكتفى بالواو تنبيها فإنه يدخل فيه من يستحق السلام عليه بطريق الوجوب و من لا يستحق ذلك بطريق الوجوب فسر حتى لا يتميز المستحق من غير المستحق رحمة منه بعباده أنه هو الغفور الرحيم و لم يعطف السلام الذي سلم به على نفسه على السلام الذي سلم به على النبي صلى اللّٰه عليه و سلم بل جعله مبتدأ فإن النبوة أعني نبوة التشريع طور آخر متميز عن طور الاتباع فإنه لو عطف عليه لفظ السلام على نفسه لسلم على نفسه أيضا من جهة النبوة للواو الذي يعطي الاشتراك و باب النبوة قد سده كما سد باب الرسالة و أعني نبوة التشريع و ما بقي بأيدينا إلا الوراثة إلى يوم القيامة يقول رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم إن الرسالة و النبوة قد انقطعت فلا رسول بعدي و لا نبي فعين بهذا أنه لا مناسبة بيننا و بين الرسل في هذا المقام فحصل له الأولية صلى اللّٰه عليه و سلم على التعيين و حصل له الآخرية صلى اللّٰه عليه و سلم لا على التعيين فدخل بالسلام الثاني بحرف العطف في عباد اللّٰه الصالحين فإنه من الصالحين بلا شك من كل وجه فهو في المرتبة التي لا تنبغي لنا فابتدأنا بالسلام علينا في طورنا من غير عطف و اعلم أنه لم نقف على رواية عن رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم في تشهده الذي كان صلى اللّٰه عليه و سلم يتشهد به بلسانه في تشهده في الصلاة في قولنا السلام عليك أيها النبي هل كان يقوله بهذا اللفظ أو يقوله بغير هذا اللفظ مثل عيسى عليه السلام إذ قال



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