الفتوحات المكية

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(وفق مخطوطة قونية)

فأما الاغتسالات المشروعة فمنها ما اتفق على وجوبه و منها ما اختلف في وجوبه و منها ما اتفق على استحبابه و هي اغتسالات كثيرة كالغسل من التقاء الختانين و الغسل من إنزال الماء الدافق على علم و الغسل من إنزاله على غير علم كالذي يجد الماء و لا يذكر احتلاما و الغسل من إنزال الماء الدافق على غير وجه الالتذاذ و الغسل من الحيض و غسل المستحاضة عند الصلوات و غسل يوم الجمعة و الغسل لصلاة الجمعة و الغسل عند الإسلام و الغسل للإحرام و الاغتسال لدخول مكة و الاغتسال للوقوف بعرفة و الاغتسال من غسل الميت و أما الاعتبارات في هذه الأغسال فأنا أذكرها قبل ذكر تفصيل أمهات المسائل المشروعة في الاغتسال بالماء و اعتباراتها فمن ذلك

(باب الاغتسال من غسل الميت)

لما كان الميت شرع غسله و هو لا فعل له إذ كان غيره المكلف بغسله تنبيها لغاسله أن يكون بين يدي ربه في تطهيره بتوفيقه و استعماله في طاعته و ما يجري عليه من أفعال خالقه به و فيه كالميت بين يدي غاسله فلا يرى غسله بهذا الاعتبار بغسله للميت و إنما يرى أن اللّٰه هو مطهره و يرى نفسه كالآلة يفعل بها اللّٰه ذلك الفعل كما يرى الغاسل الماء آلة في تحصيل غسل الميت إذ لو لا الماء ما صح اسم الغاسل لهذا الذي يغسله و الماء لا يتصور منه الدعوى في أنه غسل الميت فإن الماء ما تحرك إليه و لا قصد غسله و إنما قصد بالماء غسل الميت غاسله كذلك الغاسل لا يرى في قصده أنه قصد غسل الميت بالماء و إنما يرى نفسه مع الماء آلتين قصد اللّٰه بهما غسل هذا الميت فالله المطهر لا هو و لا الماء و لكن اللّٰه طهر الميت بالغاسل و بالماء فمثل هذا لا يغتسل من غسل الميت فهذا اعتبار من يرى أنه لا يجب الغسل من غسل الميت



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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