الفتوحات المكية

رقم السفر من 37 : [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 1362 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

(وصل)و أما أفعال هذه الطهارة

فقد ورد بها الكتاب و السنة و بين فرضها من سننها من استحباب أفعال فيها و لهذه الطهارة شروط و أركان و صفات و عدد و حدود معينة في محالها

[النية شرط في صحة الطهارة]

فمن شروطها النية و هي القصد بفعلها على جهة القربة إلى اللّٰه تعالى عند الشروع في الفعل فمن الناس من ذهب إلى أنها شرط في صحة ذلك الفعل الذي لا يصح إلا بوجودها و ما لا يتوصل إلى الواجب إلا به فهو واجب و لا بد و هو مذهبنا و به نقول في الطهارة الظاهرة و الباطنة و هي عندنا في الباطن آكد و أوجب لأن النية من صفات الباطن أيضا فحكمها في طهارة الباطن أقوى لأنها تحكم في موضع سلطانها و الظاهر غريب عنها فلهذا لم يختلف في علمنا في الباطن و اختلف في ذلك في الظاهر و قد تقدم من الكلام في النية طرف يغني و ذهب آخرون إلى أنها ليست بشرط صحة و أغنى ما ذكرناه في طهارة الوضوء بالماء

(وصل) [غسل اليد قبل إدخالها في إناء الوضوء]

اختلف علماء الشريعة في غسل اليد قبل إدخالها في الإناء الذي تريد الوضوء منه على أربعة أقوال فمن قائل إن غسلهما سنة بإطلاق و من قائل إن ذلك مستحب لمن يشك في طهارة يده و من قائل إن غسل اليد واجب على القائم من النوم في الإناء الذي يريد الوضوء منه و من قائل إن ذلك واجب على المنتبه من نوم الليل خاصة و هذا حصر مذاهب العلماء في علمي في هذه المسألة و لكل قائل حجة من الاستدلال يدل بها على قوله و ليس كتابنا هذا موضع إيراد أدلتهم و

تتميم [حكم غسل اليد من الوجهة الباطنية]

حكم هذه المسألة في الباطن غسل اليد هو طهارتها بما كلفه الشارع فيها بتركه و ذلك على قسمين منه ما هو واجب و منه ما هو مندوب إليه و الواجب عندنا و الفرض على السواء لفظان متواردان على معنى واحد فلا فرق عندنا إذا قلت أوجب أو فرض

[الواجب تركه و المندوب تركه]



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


يرجى ملاحظة أن بعض المحتويات تتم ترجمتها بشكل شبه تلقائي!