Mekkeli Fetihler: futuhat makkiyah

Volume number (out of 37): [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17]
[18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37]

الصفحة - من السفر وفق مخطوطة قونية (المقابل في الطبعة الميمنية)

  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
futmak.com - الفتوحات المكية - الصفحة 9799 - من السفر  من مخطوطة قونية

الصفحة - من السفر
(وفق مخطوطة قونية)

لكنه لم يشأ و لا تحدث له عزَّ وجلَّ مشيئة لأنه ليس بمحل للحوادث مع أن المشيئة تابعة للعلم فهي تابع التابع فلهذا الأمر الذي قررناه يقول اللّٰه ﴿إِنَّ الَّذِينَ يُؤْذُونَ اللّٰهَ وَ رَسُولَهُ﴾ [الأحزاب:57] و «قال في الصحيح شتمني ابن آدم و لم يكن ينبغي له ذلك و كذبني ابن آدم و لم يكن ينبغي له ذلك» و ذكر الحديث فقوله و لم يكن ينبغي له ذلك لما له عليه تعالى من فضل إخراجه من الشر الذي هو العدم إلى الخير الذي بيده تعالى و هو الوجود و اللّٰه يقول في مكارم الأخلاق ﴿هَلْ جَزٰاءُ الْإِحْسٰانِ إِلاَّ الْإِحْسٰانُ﴾ [الرحمن:60] فأحكام الأسماء الحسنى لذاتها و تعيين تلك الأحكام بكذا دون كذا مع جواز كذا لما أعطاه الممكن المعلوم من نفسه فمن هنا نسب الأذى إلى المخلوق و اتصف الحق بالصبر على أذى العبد و عرف أهل الاعتناء من المؤمنين بذلك صورة الشاكي بهم ليدفعوا عنه ذلك الأذى فيكون لهم من اللّٰه أعظم الجزاء كما قررناه قبل فهذه حضرة عجيبة فقد ذكرنا مائة حضرة كما اشترطنا على إن الحضرات الإلهية تكاد لا تنحصر لأنها نسب و قد ذكر منها أن لله ثلاثمائة خلق هذه التي ذكرنا من تلك الثلاث مائة و كل اسم إلهي فهو حضرة و من أسمائه ما نعلم و منها ما لا نعلم و منها ما نحوز إطلاق ما نعلم عليه و منها ما لا نجوزه لما يقتضي في العرف من سوء الأدب فسكتنا عنه أدبا مع اللّٰه لكن جاء في القرآن من ذلك شيء بطريق التضمن و أسماء الأفعال التي ما بنى منها أسماء كثيرة و جاء أسماء أشياء نسب إليها حكم ما هو لله و لم يتسم اللّٰه بها و نسب ذلك الحكم إليها مثل قوله ﴿سَرٰابِيلَ تَقِيكُمُ الْحَرَّ﴾ [النحل:81]



هذه نسخة نصية حديثة موزعة بشكل تقريبي وفق ترتيب صفحات مخطوطة قونية
  الصفحة السابقة

المحتويات

الصفحة التالية  
  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

ترقيم الصفحات موافق لمخطوطة قونية (من 37 سفر) بخط الشيخ محي الدين ابن العربي - العمل جار على إكمال هذه النسخة.
(المقابل في الطبعة الميمنية)

 
الوصول السريع إلى [الأبواب]: -
[0] [1] [2] [3] [4] [5] [6] [7] [8] [9] [10] [11] [12] [13] [14] [15] [16] [17] [18] [19] [20] [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] [28] [29] [30] [31] [32] [33] [34] [35] [36] [37] [38] [39] [40] [41] [42] [43] [44] [45] [46] [47] [48] [49] [50] [51] [52] [53] [54] [55] [56] [57] [58] [59] [60] [61] [62] [63] [64] [65] [66] [67] [68] [69] [70] [71] [72] [73] [74] [75] [76] [77] [78] [79] [80] [81] [82] [83] [84] [85] [86] [87] [88] [89] [90] [91] [92] [93] [94] [95] [96] [97] [98] [99] [100] [101] [102] [103] [104] [105] [106] [107] [108] [109] [110] [111] [112] [113] [114] [115] [116] [117] [118] [119] [120] [121] [122] [123] [124] [125] [126] [127] [128] [129] [130] [131] [132] [133] [134] [135] [136] [137] [138] [139] [140] [141] [142] [143] [144] [145] [146] [147] [148] [149] [150] [151] [152] [153] [154] [155] [156] [157] [158] [159] [160] [161] [162] [163] [164] [165] [166] [167] [168] [169] [170] [171] [172] [173] [174] [175] [176] [177] [178] [179] [180] [181] [182] [183] [184] [185] [186] [187] [188] [189] [190] [191] [192] [193] [194] [195] [196] [197] [198] [199] [200] [201] [202] [203] [204] [205] [206] [207] [208] [209] [210] [211] [212] [213] [214] [215] [216] [217] [218] [219] [220] [221] [222] [223] [224] [225] [226] [227] [228] [229] [230] [231] [232] [233] [234] [235] [236] [237] [238] [239] [240] [241] [242] [243] [244] [245] [246] [247] [248] [249] [250] [251] [252] [253] [254] [255] [256] [257] [258] [259] [260] [261] [262] [263] [264] [265] [266] [267] [268] [269] [270] [271] [272] [273] [274] [275] [276] [277] [278] [279] [280] [281] [282] [283] [284] [285] [286] [287] [288] [289] [290] [291] [292] [293] [294] [295] [296] [297] [298] [299] [300] [301] [302] [303] [304] [305] [306] [307] [308] [309] [310] [311] [312] [313] [314] [315] [316] [317] [318] [319] [320] [321] [322] [323] [324] [325] [326] [327] [328] [329] [330] [331] [332] [333] [334] [335] [336] [337] [338] [339] [340] [341] [342] [343] [344] [345] [346] [347] [348] [349] [350] [351] [352] [353] [354] [355] [356] [357] [358] [359] [360] [361] [362] [363] [364] [365] [366] [367] [368] [369] [370] [371] [372] [373] [374] [375] [376] [377] [378] [379] [380] [381] [382] [383] [384] [385] [386] [387] [388] [389] [390] [391] [392] [393] [394] [395] [396] [397] [398] [399] [400] [401] [402] [403] [404] [405] [406] [407] [408] [409] [410] [411] [412] [413] [414] [415] [416] [417] [418] [419] [420] [421] [422] [423] [424] [425] [426] [427] [428] [429] [430] [431] [432] [433] [434] [435] [436] [437] [438] [439] [440] [441] [442] [443] [444] [445] [446] [447] [448] [449] [450] [451] [452] [453] [454] [455] [456] [457] [458] [459] [460] [461] [462] [463] [464] [465] [466] [467] [468] [469] [470] [471] [472] [473] [474] [475] [476] [477] [478] [479] [480] [481] [482] [483] [484] [485] [486] [487] [488] [489] [490] [491] [492] [493] [494] [495] [496] [497] [498] [499] [500] [501] [502] [503] [504] [505] [506] [507] [508] [509] [510] [511] [512] [513] [514] [515] [516] [517] [518] [519] [520] [521] [522] [523] [524] [525] [526] [527] [528] [529] [530] [531] [532] [533] [534] [535] [536] [537] [538] [539] [540] [541] [542] [543] [544] [545] [546] [547] [548] [549] [550] [551] [552] [553] [554] [555] [556] [557] [558] [559] [560]


Bazı içeriklerin Arapçadan Yarı Otomatik olarak çevrildiğini lütfen unutmayın!