Mekkeli Fetihler: futuhat makkiyah

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(وفق مخطوطة قونية)

المعدة خزانة الأغذية التي عنها تكون الحياة الطبيعية و إبقاء الملك على النفس الناطقة الذي به يسمى ملكا و بوجوده تحصل فوائد العلوم الوهبية و الكسبية و النفس الناطقة تراعي الطبيعة و الطبيعة و إن كانت خادمة البدن فإنها تعرف قدر ما تراعيها النفس الناطقة التي هي في الملك فإذا أبصرت الطبيعة إن في خزانة المعدة ما يؤدي إلى فساد هذا الجسم قالت للقوة الدافعة أخرجي الزائد المتلف بقاؤه في هذه الخزانة فأخذته الدافعة من الماسكة و فتحت له الباب و أخرجته و هذا هو الذي ذرعه القيء

[اعتبار من ذرعه القيء و من استقاء]

فمن راعى كونه كان غذاء فخرج على الطريق الذي منه دخل عن قصد و يسمى لأجل مروره على ذلك الطريق إذا دخل مفطرا أفطر عنده بالخروج أيضا و من فرق بين حكم الدخول و حكم الخروج و لم يراع الطريق و هما ضدان قال لا يفطر و هذا هو الذي ذرعه القيء فإن كان للصائم في إخراجه تعمل و هو الاستقاء فإن راعى وجود المنفعة و دفع الضرر لبقاء هذه البنية فقام عنده مقام الغذاء و الصائم ممنوع من استعمال الغذاء في حال صومه و كان إخراجه ليكون عنه في الجسم ما يكون للغذاء قال إنه مفطر و من فرق بين حكم الدخول و حكم الخروج قال ليس بمفطر

[الجسم لا يخلو من حكم اسم إلهى فيه]

و هذا كله في الاعتبار الإلهي أحكام الأسماء الإلهية التي يطلبها استعداد هذا البدن لتاثيرها في كل وقت فإن الجسم لا يخلو من حكم اسم إلهي فيه فإن استعد المحل لطلب اسم إلهي غير الاسم الذي هو الحاكم فيه الآن زال الحكم و وليه الذي يطلبه للاستعداد و نظيره إذا خامر أهل بلد على سلطانهم فجاءوا بسلطان غيره لم يكن للأول مساعد فيزول عن حكمه و يرجع الحكم الذي طلبه الاستعداد فالحكم أبدا إنما هو للاستعداد و الاسم الإلهي المعد لا يبرح حكمه دائما لا ينعزل و لا يصح المخامرة من أهل البلد عليه فهو لا يفارقه في حياة و لا موت و لا جمع و لا تفرقة و يساعده الاسم الإلهي الحفيظ و القوي و أخواتهما فاعلم ذلك

[حديث من ذرعه القيء و هو صائم]

«ثبت أن النبي صلى اللّٰه عليه و سلم احتجم و هو صائم خرجه البخاري عن ابن عباس»



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