الفتوحات المكية

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(وصل في فصول صلاة الخوف)

[الاختلاف في صورة صلاة الخوف]

أجمع الناس على إن صلاة الخوف جائزة و اختلفوا في صورتها بحسب اختلاف الروايات الواردة فيها من صلاته صلى اللّٰه عليه و سلم إياها إلا أبا يوسف فإنه شذ عن الجماعة فقال لا تجوز صلاة الخوف على صورة ما صلاها رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم بإمام واحد إلا لرسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم فإن ذلك خاص به و إنما تصلي صلاة الخوف بإمامين كل إمام يصلي ركعتين بطائفة ما دامت تحرس الأخرى و الذي أذهب إليه أن الإمام مخير في الصور التي ثبتت عن رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم فبأي صورة صلاتها أجزأته صلاته و صحت صلاة الجماعة إلا الرواية التي فيها الانتظار بالسلام فإن عندي فيها نظر الكون الإمام يصير فيها تبعا تابعا و قد نصبه اللّٰه متبوعا و سبب توقفي في ذلك دون جزم من طريق المعنى فإن النبي صلى اللّٰه عليه و سلم أمر الإمام أن يصلي بصلاة المريض و أضعف الجماعة و التأويل الذي يحتمله اقتداء أبي بكر بصلاة رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم ذكره الطحاوي أن أبا بكر كان هو الإمام في صلاته بالناس و فيهم رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم قال الراوي فكان الناس يقتدون بأبي بكر الصديق رضي اللّٰه عنه و كان أبو بكر يقتدي بصلاة رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم فقال معنى الاقتداء هنا أنه كان يخفف لأجل مرض رسول اللّٰه صلى اللّٰه عليه و سلم و هذا التأويل ليس ببعيد فقد يكون الإمام في هذه الحالة إماما مؤتما و بلفظ الإمامة وردت الرواية عن الصاحب فلهذا لم يترجح عندي نظر في رواية الانتظار و الاختلاف في صور صلاة الخوف معلوم مسطور في كتب الحديث



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  الفتوحات المكية للشيخ الأكبر محي الدين ابن العربي

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